पटना और वैशाली के बीच गंगा नदी पर बन रहा कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्सलेन केबल पुल (kacchi dargah bidupur bridge) का काम तेजी से चल रहा है. इस पुल के चालू हो जाने से दक्षिण से उत्तर बिहार के बीच दूरी कम हो जाएगी. झारखंड के इलाके से उत्तर बिहार होकर नेपाल बॉर्डर तक पहुंचना आसान हो जाएगा. पटना के प्रमुख पुलों के ऊपर से भी गाड़ी का दबाव घटेगा और जाम की समस्या लोगों को नहीं आएगी. राघोपुर दियारा को भी इस पुल से सड़क कनेक्टिविटी मिलेगी. पुल कबतक बनकर तैयार हो जाएगा और वाहन उसपर फर्राटा भरने लगेंगे, इसकी जानकारी आयी है.
कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्सलेन केबल पुल
पटना के कच्ची दरगाह से वैशाली जिले के बिदुपुर तक सिक्सलेन केबल पुल बन रहा है. यह पुल इसी साल बनकर तैयार हो जाएगा. इस पुल पर आवागमन शुरू होने से झारखंड के लोगों को भी फायदा मिलेगा. झारखंड के इलाके से भी उत्तर बिहार होते हुए नेपाल बॉर्डर तक लोग जा सकेंगे. नवादा, मुंगेर या नालंदा की ओर से आने वाली गाड़ियों को उत्तर बिहार जाने के लिए अब पटना आने की जरूरत नहीं होगी.
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प्रमुख पुलों पर जाम की समस्या कम होगी
इस पुल के बनने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच की दूरी 60 किलोमीटर घटेगी. अभी जेपी सेतु, महात्मा गांधी सेतु और राजेंद्र सेतु पर वाहनों का दबाव रहता है और जाम की समस्या इससे आती है. नये पुल के चालू हो जाने पर इस समस्या से मुक्ति मिलेगी. इस पुल को करीब 4988 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा है. मुख्य पुल 9.76 किलोमीटर लंबी होगी जबकि एप्रोच के साथ इसकी लंबाई 19 किलोमीटर से अधिक होगी.
क्या है पुल की खासियत?
यह केबल पुल 67 पायों पर केबल के सहारे बना होगा. दो पायों के बीच की दूरी 160 मीटर होगी. गंगा के जलस्तर से इसकी दूरी 13 मीटर के करीब ऊंची है. मानसून और बाढ़ के दौरान गंगा के अधिकतम जलस्तर के हिसाब से इसकी ऊंचाई रखी गयी है. इस पुल के नीचे से जल परिवहन वाले जहाज भी आसानी से गुजर सकेंगे.
आमस-दरभंगा नयी फोरलेन सड़क से भी जुड़ेगा
इस पुल से राघोपुर दियारा के लोगों को भी बड़ा फायदा मिलेगा. इसका एप्रोच बन चुका है. बख्तियारपुर की तरफ फ्लाइओवर और एप्रोच रोड बन रहा है जिसका काम अंतिम चरण में है. बख्तियारपुर फोरलेन से इसकी कनेक्टिविटी रहेगी. इस पुल को आमस-दरभंगा नयी फोरलेन सड़क से भी जोड़ा जाएगा. बता दें कि इस सड़क का निर्माण 2011 में ही शुरू हो जाना था लेकिन 5 साल बाद 2016 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ. जबकि 2020 में इसे तैयार करने की समय सीमा थी जिसमें विलंब हुआ है.