पटना. कैमूर वन अभयारण्य को अगले साल टाइगर रिजर्व की मंजूरी मिल जायेगी. यह राज्य में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के बाद दूसरा टाइगर रिजर्व होगा. कैमूर वन क्षेत्र का इलाका करीब 1600 वर्ग किमी है ,जबकि वीटीआर का इलाका करीब 900 वर्ग किमी है. कैमूर वन क्षेत्र की पहुंच छोटानागपुर की पहाड़ी और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके तक है. इस कारण यह वन्य प्राणियों के लिए बहुत बड़ा इलाका है. इसके लिए फिलहाल टाइगर रिजर्व के सीमांकन को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है. इस अभयारण्य के आसपास की आबादी वाले इलाके को सीमांकन से बाहर किया जायेगा. इसके लिए कागजी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, अब स्थलीय सर्वे की तैयारी है.
सूत्रों के अनुसार सीमांकन से पूरी तरह आबादी वाले इलाके को बाहर कर इसकी रिपोर्ट पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारी राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र को सौंपेंगे. इसके बाद केंद्रीय मंत्रालय और बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम के निरीक्षण सहित सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद टाइगर रिजर्व की मंजूरी मिलने की संभावना है. इसी साल कैमूर वन क्षेत्र का केंद्रीय टीम ने दौरा कर आबादी और जंगल वाले हिस्से की जानकारी ली थी. इसके लिए कोर एरिया, बफर एरिया व कॉरिडोर को चिह्नित किया गया था.
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से भी उन्हें सभी स्थितियों से अवगत करवाया था. सूत्रों के अनुसार मार्च 2020 में कैमूर वन अभ्यारण्य में वन विभाग द्वारा लगाये गए कैमरा ट्रैप में विचरण करते बाघ की तस्वीर कैद हुई थी. इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा गठित टीम ने यहां का दौरा किया था. टाइगर रिजर्व घोषित होने से इस क्षेत्र को इको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जा सकेगा, जिससे रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी. साथ ही पर्यटन का भी विकास होगा.
वर्तमान में कैमूर के वन क्षेत्रों में भालू, तेंदुआ, हिरण सहित कई जानवरों की मौजूदगी है. इसके अलावा यहां विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी भी आते रहते हैं. कैमूर वन क्षेत्र काफी बड़ा है और इसकी सीमा झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के जंगलों से मिलती है. देश में इस समय 51 टाइगर रिजर्व हैं. केंद्र सरकार द्वारा और भी क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व नेटवर्क के तहत लाने के प्रयास किये जा रहे हैं.