Kargil Vijay Diwas 2020 : कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट के मेजर मरियप्पन सर्वानन के सिर बंधा पहले शहीद का सेहरा

Kargil Vijay Diwas 2020 पटना : भारतीय इतिहास में 26 जुलाई, 1999 का ही वह दिन था जब भारतीय सेना के जवानों ने अपने अद्म्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए कारगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था. इसी की याद में हर वर्ष 26 जुलाई का दिन कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. 21 साल बाद भी देश सेना के इन सपूतों के बलिदान को भूला नहीं है. कारगिल विजय दिवस के मौके पर हजारों फीट ऊंचे पहाड़ी पर हुए इस युद्ध में देश पर जान न्योछावर करने वाले शहीदों के अपनी कुरबानी देकर दुश्मनों को पीछे धकेलते हुए 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था तथा भारत की भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2020 7:53 PM
an image

Kargil Vijay Diwas 2020 पटना : भारतीय इतिहास में 26 जुलाई, 1999 का ही वह दिन था जब भारतीय सेना के जवानों ने अपने अद्म्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए कारगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था. इसी की याद में हर वर्ष 26 जुलाई का दिन कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. 21 साल बाद भी देश सेना के इन सपूतों के बलिदान को भूला नहीं है. कारगिल विजय दिवस के मौके पर हजारों फीट ऊंचे पहाड़ी पर हुए इस युद्ध में देश पर जान न्योछावर करने वाले शहीदों के अपनी कुरबानी देकर दुश्मनों को पीछे धकेलते हुए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था तथा भारत की भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था.

कारगिल युद्ध के दौरान भी बिहार रेजिमेंट सुर्खियों में रहा था. कारगिल युद्ध में सबसे पहले शहीद होने वालों में शामिल मेजर मरियप्पन सर्वानन बिहार रेजिमेंट से ही आते हैं. इन्हें बटालिक का हीरो भी कहा जाता है. जब सेना को बटालिक में दुश्मन की हरकत की जानकारी मिली, तो मेजर मरियप्पन को आगे जानकारी के लिए भेजा गया. उन्होंने अकेले ही दो बंकरों को नष्ट कर दिए. इस दौरान उनके पास कोई बैकअप भी नहीं था, लेकिन फिर भी मेजर मरियप्पन पीछे नहीं हटे और 29 मई 1999 को शहीद हो गये थे. करगिल की घमासान लड़ाई की वजह से उनका शव 3 जुलाई को बर्फ में ढका मिला.

कारगिल युद्ध के दौरान जुलाई, 1999 में बटालिक सेक्टर के पॉइंट 4268 और जुबर रिज पर पाकिस्‍तानी घुसपैठियों ने कब्जा करने की कोशिश की. बिहार रेजीमेंट के योद्धाओं ने उन्‍हें खदेड़ दिया. करगिल युद्ध में शहीद कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी को मरणोपरांत महावीर चक्र से, तो मेजर मरियप्पन सरावनन को मरणोपरांत वीरचक्र से सम्मानित किया गया. पटना के गांधी मैदान के पास कारगिल चौक पर कारगिल युद्ध में शहीद 18 जांबाजों की शहादत की याद में स्‍मारक बनाया गया है.

उल्लेखनीय है कि बिहार रेजिमेंट के जवानों को दुश्मन किलर मशीन, जंगल वॉरियर्स और बजरंग बली आर्मी नाम से भी जानते हैं. बिहार रेजिमेंट का गठन 1941 में हुआ था और इसका सेंटर दानापुर कैंट, पटना में है. हालांकि, अब बिहार रेजिमेंट में सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देशभर से सैनिक आते हैं. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के 96 हजार सैनिकों ने बिहार रेजिमेंट के जांबाजों के सामने ही बांग्लादेश में सरेंडर किया था. कहा जाता हैं कि पाकिस्तानी सैनिकों में बिहार रेजिमेंट के सैनिकों के लड़ाई के तेवर का इतना खौफ था कि वह लड़ने को तैयार ही नहीं हुए. चर्चा है कि इतनी बड़ी सेना ने बिना लड़े ही हथियार डाल दिए जाने की घटना दुनियाभर के सैनिक इतिहास में एक रिकॉर्ड था.

Upload By Samir Kumar

Exit mobile version