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गजकेसरी, शश व बुधादित्य योग में मना करवा चौथ

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी में रविवार को सुहागिन महिलाओं ने पति के दीर्घायु व अखंड सौभाग्य की कामना से करवा चौथ का व्रत किया.

अखंड सौभाग्य की कामना से महिलाओं ने पूरे दिन रखा व्रत संवाददाता, पटना. कार्तिक कृष्ण चतुर्थी में रविवार को सुहागिन महिलाओं ने पति के दीर्घायु व अखंड सौभाग्य की कामना से करवा चौथ का व्रत किया. करवा चौथ में व्रती महिलाओं ने सूर्योदय से व्रत आरंभ कर चंद्रोदय पर व्रत को पूर्ण किया. सुहागिन महिलाओं ने पूरे दिन उपवास करने के बाद संध्याकाल में सोलह शृंगार कर अखंड सुहाग और सौहार्द पूर्ण वैवाहिक जीवन की कामना से भगवान शिव, माता पार्वती, विघ्नहर्ता गणेश, कार्तिकेय, नंदी के साथ करवा माता की पूजा-अर्चना की. फिर चंद्रोदय के बाद घर की छत व बालकनी से चंद्रमा की पूजा कर करके से जलार्पण करने के बाद चलनी से चांद को देखने के बाद पति को देखा. फिर पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत को पूरा. रविवार को कई शुभ योग का महासंयोग और नक्षत्रों का युग्म संयोग भी बना था, जो व्रती महिलाओं के लिए उत्तम था. ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि रविवार को करवा चौथ पर कई शुभ संयोग बने थे. इसमें गजकेसरी , शश, बुधादित्य योग, वरीयान योग, उच्च का चंद्रमा, कृत्तिका व रोहिणी नक्षत्र का युग्म संयोग बना था. कार्तिक मास के इस चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी में गणपति की पूजा अनंत पुण्यदायी होता है. इनकी पूजा से सभी संकट, कष्ट, विघ्न, बाधा दूर होंगे. व्रती महिलाएं रविवार को चंद्रमा को चलनी से देखते हुए अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण किया. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन का कारक है, इनकी उपासना से मानसिक शांति, एकाग्रता में वृद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य के बाद चलनी से देखने की अनोखी परंपरा है. व्रती महिलाएं चलनी से चंद्र दर्शन के बाद अपने पति को भी उसी चलनी से देखी.

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