केंद्रीय विद्यालयों में अब सांसद और जिलाधिकारी कोटे से एडमिशन पर रोक लगा दी गयी है. नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही अभिभावकों का सांसदों और जिलाधिकारियों के दरवाजे पर पैरवी लेकर पहुंचना भी अब बंद हो जाएगा. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने एक पत्र जारी करते हुए स्पष्ट निर्देश दे दिये हैं कि स्पेशल प्रोविजन (कोटा) के तहत नामांकन नहीं लिया जाएगा.
केंद्रीय विद्यालय संगठन के उपायुक्त के. शशिंद्रन ने एक पत्र जारी किया है जिसमें केंद्रीय विद्यालय संगठन हेडक्वॉर्टर के द्वारा दिये गये निर्देश का जिक्र है. निर्देशित किया गया है कि अगले आदेश के जारी होने तक इसका सख्ती से पालन होगा. वहीं इस फैसले का स्वागत बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के सांसद सुशील मोदी ने किया है. उन्होंने स्थायी रुप से इस कोटे को समाप्त करने की मांग की है.
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने बताया कि वो लगातार इसकी मांग करते आए हैं. सदन में भी इस मुद्दे को उठाया. कहा कि शिक्षा मंत्रालय के इस निर्णय से इन सीटों पर भी एससी-एसटी, ओबीसी कोटे से हर साल 15000 छात्रों को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.
Also Read: बिहार में लू से मचा हाहाकार, सरकार को स्कूली बच्चों की चिंता, कक्षाओं के समय में हो सकता है बदलावभाजपा सांसद ने बताया कि सांसद कोटे से 7,500 और कलक्टर कोटे से 22,000 छात्रों के दाखिले होते रहे. हर सांसद दस और विद्यालय प्रबंधक समिति अध्यक्ष के नाते हर कलक्टर अपने जिले के प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय में न्यूनतम 17 छात्रों का एडमिशन अभी तक अपने कोटे से कराते आए.
सुशील मोदी ने बताया कि इन कोटों से नामांकन पर रोक लगाने के बाद अब सीधे 30 हजार सीटों में बढ़ोतरी होगी. पहले इस तरह एडमिशन में आरक्षण और योग्यता दोनों को किनारे रख दिया जाता था लेकिन अब योग्य पात्रों के लिए सीटों की झंझट बहुत कम हो सकेगी. बताया कि यह कोटा जनप्रतिनिधियों से लोगों की नाराजगी का कारण बन गया था. निवेदन करने वाले सैंकड़ो की तादाद में आते थे जबकि एक सांसद केवल 10 छात्रों का ही नामांकन अपने कोटे से करा सकता था
POSTED BY: Thakur Shaktilochan