बिहार में 900 से अधिक हेडमास्टरों का रोका जा चुका वेतन, KK Pathak के आदेश को हल्के में लेकर बुरे फंसे
बिहार में हाल के दिनों में शिक्षा विभाग ने 900 से अधिक हेडमास्टरों के ऊपर कार्रवाई की है और उनके वेतन को रोका गया है. अपर मुख्य सचिव के के पाठक के आदेश को हल्के में लेना इन्हें भारी पड़ गया. दो जिलों में ये कार्रवाई हुई है.
बिहार के करीब 1000 हेडमास्टरों को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के आदेश का पालन नहीं करना भारी पड़ गया. एक तरफ जहां के के पाठक शिक्षा विभाग की व्यवस्था को दुरुस्त करने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कई प्रधानाध्यापक ऐसे भी चिन्हित किए गए हैं जो विभाग के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे ही 900 से अधिक हेडमास्टरों के ऊपर कार्रवाई की गयी है. उनके वेतन भुगतान को रोकने का आदेश दिया गया है. ताजा मामला वैशाली जिले का हैं जहां 400 से अधिक हेडमास्टरों के वेतन पर रोक लगी है.
वैशाली जिले में हेडमास्टरों पर कार्रवाई
वैशाली जिले के 405 प्रधानाध्यापकों के ऊपर शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की है. उनके दिसंबर 2023 के वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया गया. वैशाली जिले में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी तादाद में प्रधानाध्यापकों के वेतन को रोका गया हो. दरअसल, अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्देश के तहत करवाए जा रहे प्रोफाइल अपडेट कार्य में लापरवाही बरतने पर इनके ऊपर कार्रवाई की गयी है. सरकारी वेबसाइट पर छात्रों, शिक्षकों और स्कूलों के प्रोफाइल को अपडेट नहीं करने पर इनके ऊपर ये कार्रवाई शिक्षा विभाग की ओर से डीपीओ ने की है.
वैशाली के 405 हेडमास्टरों की सैलरी रोकी गयी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विभागीय स्तर पर सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक को कई बार पत्र भेजकर निर्देश दिया गया था कि वे वेबसाइट पर प्रोफाइल अपडेट कर लें. लेकिन वैशाली जिले के 405 सरकारी स्कूल के हेडमास्टरों ने ये काम पूरा नहीं किया जिसके बाद डीपीओ ने ये कार्रवाई की है.
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मुजफ्फरपुर में 536 हेडमास्टरों का रोका गया था वेतन
उधर, बिहार लोक सेवा आयोग से नियुक्त शिक्षकों (BPSC Teachers) के ऑनलाइन पोर्टल पर योगदान कराने में लापरवाही बरतने पर मुजफ्फरपुर जिले के 536 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के वेतन पर रोक हाल में ही लगा दी गयी थी. डीपीओ स्थापना डाॅ प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने यह कार्रवाई की थी. शिक्षा विभाग ने सात दिसंबर तक जिले काे आवंटित सभी शिक्षकों को ऑनलाइन पोर्टल पर योगदान दिलाने का निर्देश दिया था. डीपीओ ने सभी संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापकों को कहा है कि वे 24 घंटे में इस संबंध में स्पष्टीकरण दें कि उन्होंने ससमय शिक्षकों का योगदान क्या नहीं कराया. ऐसा नहीं करने पर काम में लापरवाही, विभागीय आदेशों का उल्लंघन और मनमानी को आधार मानकर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी.
गलत कागजात अपलोड करने पर चेतावनी
पत्र में यह भी कहा गया कि कई प्रधानाध्यापकों ने शिक्षकों को ऑनलाइन योगदान कराने के क्रम में गलत और त्रुटिपूर्ण कागजात पोर्टल पर अपलोड कर दिया है. इस कारण भी ऑनलाइन पोर्टल पर शिक्षक का योगदान नहीं दिख रहा है. डीपीओ ने बताया कि यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है, तो संबंधित प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
प्रधानाध्यापकों को दिया गया था योगदान कराने जिम्मा
शिक्षा विभाग के आदेश के बाद जिले के सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को नये शिक्षकों को योगदान कराने का जिम्मा सौंपा गया था. उन्हें कहा गया था कि डीपीओ कार्यालय स्थित शिक्षक नियुक्ति कोषांग में शिक्षकों को सभी आवश्यक कागजात के साथ ऑनलाइन पोर्टल पर योगदान कराएं. इन प्रधानाध्यापकों की ओर से लापरवाही बरती गयी. इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
वैशाली में शिक्षकों की सैलरी रोकने का दिया था आदेश
बता दें कि अपर मुख्य सचिव के के पाठक लगातार जिलों का खुद भी निरीक्षण कर रहे हैं. स्कूलों का निरीक्षण करने वो हाल में वैशाली जिला भी पहुंचे थे. मध्य विद्यालय सुभई में जब के के पाठक पहुंचे तो वहां कक्षा नियम के अनुरूप संचालित नहीं हो रही थी. कई और अनियमितता उन्होंने जब पायी तो फौरन एक्शन में आए और हेडमास्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया था. वहीं प्राथमिक विद्यालय रजौली का निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां भी उनका सख्त अंदाज देखने को मिला था. इस स्कूल में कुल 5 शिक्षक पदस्थापित थे लेकिन केवल 80 बच्चाें का नामांकन था. जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए सभी शिक्षकों के वेतन को रोकने का आदेश जारी कर दिया था.