Bihar Teacher News: बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक की सख्ती के कारण प्रदेश के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. के के पाठक जिलों का दौरा कर रहे हैं और स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं. इसी सिलसिले में शुक्रवार की रात को पटना के बिहिया नगर स्थित टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज का औचक निरीक्षण उन्होंने किया. इस दौरान उन्होंने सभी शिक्षकों को दो पहिया व चार पहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग देने की बात कही. इसके पीछे की वजह भी उन्हाेंने बतायी है.
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने शुक्रवार की रात बिहिया नगर स्थित टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज का औचक निरीक्षण किया. प्रशिक्षुशिक्षकों से बातचीत करते हुए अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सभी लोगों को विद्यालय के दो से तीन किलोमीटर के दायरे में आवास रखते हुए रहना है. सभी शिक्षकों को दो पहिया व चार पहिया वाहन चलाने की ट्रेनिंग दी जायेगी, ताकि वे समय पर स्कूल आ सकें. उन्होंने मौजूद डीएम राजकुमार को निर्देश देते हुए कहा कि एक-दो दिनों में विभाग का निर्देश भेज दिया जायेगा. अपर मुख्य सचिव ने सभी प्रशिक्षुशिक्षकों से बिहार की छवि को निखारने के लिए स्कूल में छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया. अपर मुख्य सचिव के निरीक्षण के दौरान भोजपुर डीएम राजकुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी मो. अहसन, टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य राकेश कुमार, डीपीओ भोजपुर साक्षरता चन्दन प्रभाकर, बिहिया बीडीओ, बीइओ समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहे.
Also Read: PHOTOS: के के पाठक शिक्षिका पर गदगद तो हेडमास्टर पर हुए आग बबूला, इधर DM ने रोक दिया टीचरों का वेतन
सरकारी स्कूलों में कक्षा संचालित करने के लिए नया कैलेंडर तैयार किया जायेगा. इसकी जिम्मेदारी संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक को दी गयी है. नये कैलेंडर के अनुसार स्कूल में कार्यरत सभी शिक्षक कक्षाओं में बच्चों को पढ़ायेंगे. इसके साथ ही शिक्षकों ने प्रतिदिन कितने कक्षाएं ली, इसकी जानकारी विभाग को देनी होगी. प्रधानाध्यापक इस हिसाब से कैलेंडर तैयार करेंगे कि स्कूल में कार्यरत प्रत्येक शिक्षक के हिस्से प्रतिदिन छह कक्षाएं आएं. यदि किसी शिक्षक द्वारा किसी दिन छह कक्षाएं नहीं ली जायेंगी, तो उनके उस दिन के वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा. कक्षा कैलेंडर में एक क्लास कम-से-कम 45 मिनट का होगा.
पटना के डीइओ अमित कुमार ने बताया कि स्कूलों में मिशन दक्ष की शुरुआत एक दिसंबर से होगी. लंच के बाद विशेष कक्षाएं संचालित होंगी. विशेष क्लास में पढ़ाई में कमजोर बच्चे शामिल होंगे. पांच-पांच बच्चों का समूह बनाकर कक्षाएं संचलित की जायेंगी.
अपर मुख्य सचिव के के पाठक शुक्रवार को सासाराम भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कई स्कूलों का निरीक्षण किया. शिवसागर प्रखंड मुख्यालय पर रुककर के के पाठक ने स्कूलों की जांच शुरू कर दी. सबसे पहले शिवसागर पश्चिमी शिव मंदिर स्थित कन्या मध्य विद्यालय की जांच की. वहां व्यवस्था सही होने के बावजूद हेडमास्टर व शिक्षकों को कई दिशा-निर्देश दिये. इसके बाद उर्दू प्राथमिक विद्यालय की जांच कर सीधा प्रखंड मुख्यालय स्थित श्री दुर्गा हाई स्कूल पहुंचे. यहां शिक्षकों से यह पूछ डाला कि किसने अबतक कितने क्लास लिए. उस समय लंच का समय था. जहां जवाब में शिक्षक ने एक क्लास लेने की बात कही. इस पर अपर मुख्य सचिव शिक्षक-शिक्षिकाओं पर भड़क गये और कहा कि हर दिन प्रत्येक शिक्षक को छह क्लास लेना अनिवार्य है. अगर स्कूल की घंटी फुल हो, तो बगल के स्कूलों में जाकर जूनियर क्लास लें. ऐसा नहीं करने वाले शिक्षक अपने वेतन के हकदार नहीं हैं. हाइस्कूल के लापरवाह शिक्षकों को प्राथमिक विद्यालय में जाना पड़ जायेगा. इसी बीच शिक्षकों के बचाव में आयी हाइस्कूल की प्रिंसिपल को भी मुख्य सचिव ने जमकर फटकार लगायी.
इधर, 200 से अधिक अनुदानित कॉलेजों के प्राचार्यों / सहायक प्राचार्यों का वेतन अगले आदेश तक स्थगित करने के आदेश दिये गये हैं. आदेश उन कॉलेजों पर प्रभावी होगा जिन्हें परीक्षाफल आधारित अनुदान दिया जाता है. इन कॉलेजों शिक्षा विभाग की तरफ से मांगी गयी जानकारी मुहैया नहीं करायी है. यह आदेश उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने शुक्रवार को जारी किये हैं. आदेश में टूक बता दिया गया है कि यह आदेश कॉलेज की आंतरिक स्रोत की राशि से दी जाने वाली राशि पर प्रभावी होगा. कॉलेज उस राशि से भी भुगतान नहीं कर सकेगा. उच्च शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को पत्र लिख कर इस आदेश का पालन कराने के लिए कहा है. उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने आदेश दिये हैं कि अनुदानित कॉलेजों के आलवा कई प्रोफेशनल / वोकेशनल / बीएड कोर्स संचालित करने वाले निजी कॉलेजों ने भी शिक्षा विभाग की मांगी जानकारी गूगल सीट पर अपलोड नहीं की हैं. ऐसे कॉलेजों की संबद्धता रद्द करने की कार्यवाही करने को कहा है. ऐसे कॉलेजों की संख्या तीन सौ से अधिक बतायी गयी है. दरअसल यह वह कॉलेज हैं,जिन्हें शिक्षा विभाग अनुदान नहीं देता है. फिलहाल इस पूरे मामले से शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के कुल सचिवों को जरूरी कदम उठाने के लिए कह दिया है.