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Kojagara: समृद्धि की कामना का लोकपर्व है कोजागरा, घर-घर होती है लक्ष्मी के इस रूप की पूजा

Kojagara : आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाले पर्व कोजगरा में मुख्य रूप में लक्ष्मी(लखि) के अन्नपूर्णा रूप की पूजा होती है.

Kojagara : दरभंगा. समृद्धि की कामना का लोकपर्व कोजागरा मिथिला समेत पूरे बिहार और बंगाल में मनाया जाता है. बुधवार 16 अक्टूबर को पूरे भक्ति भाव से लोग मां अन्नपूर्णा की आराधना करेंगे. सनातन धर्म में धन से अधिक समृद्धि का महत्व है. बुधवार की शाम बिहार खासकर मिथिला के घर-घर में मां अन्नपूर्णा की पूजा होगी. इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गयी है. आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाले पर्व कोजगरा में मुख्य रूप में लक्ष्मी(लखि) के अन्नपूर्णा रूप की पूजा होती है. साथ ही घर में आयी नयी विवाहिता को सामाजिक स्तर पर आशिर्वाद दी जाती है, जिसे मिथिला में चुमाओन कहा जाता है. कोजागरा की रात नवविवाहित दंपती का चुमाओन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा का निर्वहन आज भी पूरी सिद्दत के साथ की जाती है.

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मखाना बांटने की है परंपरा

परंपरा के अनुसार कोजागरा के दिन नवविवाहित दंपती को मखाना, मिठाई, चूरा, दही, नये वस्त्र सहित अन्य भोजन सामग्री उपहार स्वरूप दिया जाता है. चुमाओन के बाद मखाना बांटने की परंपरा है. फिर ससुराल से आये भोजन सामग्री लोगों को खिलाकर पर्व का समापन किया जाता है. कोजागरा को लेकर बाजार में मखाना की मांग बढ़ने के साथ कीमत में भी काफी इजाफा हुआ है. फिर भी लोग पर्व की रस्म पूरा कारने के लिए जमकर मखाना की खरीदारी करते दिखे. इस दिन पुरैन(कमल का पत्ता) पर भेंट (कमल के बीज का चावल) का भात और मखाने की खीर देवी की अर्पित किया जाता है.

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मां लक्ष्मी की होती है आराधना

कोजागरा की रात हर घर में श्रद्धा के साथ मां अन्नपूर्णा की पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि कोजागरा की रात देवी अन्नपूर्णा की आराधना से घर में कभी अन्ना का संकट पैदा नहीं होता है. श्रद्धा व निष्ठापूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है. इसी भावना से मिथिला समेत बिहार और बंगाल में घर घर देवी अन्नपूर्णा की आराधना की जाती है. मान्यता है कि जिस घर में आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मां अन्नपूर्णा की पूजा होती है, उस घर में कभी अन्न का संकट नहीं होता है. उस घर का कोई कभी भूख से नहीं सोता है.

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