Lalan singh: ‘सौ चूहे खाकर, बिल्ली चली हज को’, संविधान पर चर्चा के दौरान ललन सिंह ने प्रियंका गांधी पर कसा तंज

Lalan singh: जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में संविधान दिवस के मौके पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर खूब निशाने पर साधा.

By Paritosh Shahi | December 13, 2024 4:42 PM

Lalan singh: केंद्रीय पंचायती राज मंत्री और जदयू नेता ललन सिंह लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों पर खूब बरसे. ललन सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी ने देश में लंबे समय तक शासन किया. पिछले 10 वर्ष से नरेंद्र मोदी ने पीएम के तौर पर जो भी अच्छे काम किये हैं उसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विस्तार से बताया. उन कामों में एक मूल मंत्र जो इसी संविधान से निकला है वो है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास. यही हमारे संविधान का मूल मंत्र है. यह बात विपक्ष को कहां समझ में आएगा.’

प्रियंका गांधी पर साधा निशाना

जदयू नेता ललन सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस ने लंबे समय तक देश में राज किया, इस दौरान इन्होंने सैकड़ों बार संविधान की धज्जियां उड़ाई. जब मन हुआ संविधान में बदलाव कर दिया. यही कारण है कि आज संविधान ने उन्हें वहां बैठा दिया. ये संविधान को ऐसा इस्तेमाल करते थे.’ वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी का नाम लिए बिना ललन सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस की महिला सांसद ने अपने पहले भाषण में बेहद चुटीले और व्यंगात्मक अंदाज में इस सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. अरे आपको ज्ञान नहीं है जरा अपने पूर्वजों ने इस देश पर जो शासन किया है उनका भी इतिहास पढ़ लेती. हमारे यहां एक कहावत है, सौ चूहे खाकर, बिल्ली चली हज को.’

संविधान के भक्षक आजकल संविधान की कॉपी लेकर घूम रहे हैं

जदयू सांसद ललन सिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा, ‘जो संविधान के भक्षक हैं वह आजकल संविधान की कॉपी लेकर ऐसे घूम रहे हैं जैसे संविधान के कितने रक्षक हैं. राहुल गांधी का नाम लिए बगैर ललन सिंह ने कहा कि जो संविधान के भक्षक हैं वह संविधान के रक्षक नहीं हो सकते. जब आप संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं तो जनता आप पर हंसती है. कम से कम महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव से आपको सबक ले लेना चाहिए था. कुछ सुधर जाइएगा तो आगे ठीक रहेगा.’

प्रियंका गांधी ने बीजेपी पर साधा निशाना

सांसद बनने के बाद अपने पहले भाषण में प्रियंका गांधी ने कहा, ‘पहले राजा भेष बदलकर जनता के बीच में जाते थे. अब राजा भेष बदलते हैं, लेकिन वह जनता के बीच में नहीं जाते हैं और ना ही वह लोगों द्वारा अपनी आलोचना सुनना पसंद करते हैं. आज का राजा जनता के बीच में जाने से डरता है. मौजूदा समय में यह सरकार आलोचना से डर रही है. ऐसी स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इस सरकार में सदन में चर्चा कराने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं है. लोगों के बीच में भय फैलाने वाले लोग आज खुद भय में जी रहे हैं. ऐसा डर का माहौल तो पहले अंग्रेजों के राज में भी नहीं था. लेकिन, यह देश डर से नहीं, बल्कि साहस से चलेगा.’

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