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चुनावी साल आते ही लालू यादव को लगा जोर का झटका, 35 साल पुराने साथी ने छोड़ा साथ

RJD के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद आजाद गांधी ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए बड़े आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी की दिशा और नेतृत्व अब बिल्कुल कमजोर हो गया है, और न तो लालू प्रसाद और न ही तेजस्वी यादव पार्टी के भीतर कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले पा रहे हैं.

RJD के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद आजाद गांधी ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए बड़े आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी की दिशा और नेतृत्व अब बिल्कुल कमजोर हो गया है, और न तो लालू प्रसाद और न ही तेजस्वी यादव पार्टी के भीतर कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले पा रहे हैं. आजाद गांधी ने आरोप लगाया कि पार्टी में सारे फैसले अब दिल्ली और हरियाणा से हो रहे हैं, जो संगठन की मजबूती के लिए खतरनाक साबित हो रहा है.

लालू प्रसाद के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए आजाद गांधी ने कही ये बातें

आजाद गांधी ने अपने इस्तीफे के साथ एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने पार्टी की वर्तमान स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने लिखा कि पिछले 35 सालों से RJD के लिए काम करने के बावजूद अति पिछड़ा वर्ग को पार्टी में सही हिस्सेदारी नहीं दी गई है. गांधी का कहना था कि लालू प्रसाद यादव का पार्टी पर नियंत्रण अब कमजोर पड़ चुका है, और उनके अनुयायी भी संगठन में उपेक्षित हो रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के फैसले अब बाहरी लोगों के हाथों में हैं, जबकि पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर किया जा रहा है.

पार्टी में अति पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा और बाहरी प्रभाव पर तीखा आरोप

आजाद गांधी ने इस पत्र में यह भी उल्लेख किया कि अति पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं को अब न तो सत्ता में कोई स्थान मिल रहा है और न ही उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है. गांधी ने कहा कि RJD अब सामाजिक न्याय की नीति से भटक चुकी है और पार्टी के कार्यकर्ताओं को सिर्फ किनारे किया जा रहा है. लालू प्रसाद के नेतृत्व में पार्टी का आधार कमजोर हो गया है और तेजस्वी यादव की भूमिका भी अब केवल बाहरी तत्वों तक सीमित रह गई है.

आजाद गांधी ने राजद से इस्तीफा देकर भविष्य को लेकर जताई चिंता

आजाद गांधी ने अंत में यह कहा कि अब उन्हें पार्टी में घुटन महसूस हो रही है, और पार्टी में किसी भी प्रकार के सकारात्मक बदलाव की उम्मीद नहीं बची है. उन्होंने पार्टी के सभी पदों से और दल की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है. गांधी के इस्तीफे ने राजद के भीतर असंतोष और नेतृत्व संकट को उजागर किया है, और पार्टी को एक गंभीर सोच-विचार की जरूरत है.

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राजद के भविष्य पर सवाल और लालू-तेजस्वी के लिए चुनौती

आजाद गांधी का इस्तीफा यह साफ संकेत देता है कि RJD को अपने अंदरूनी संकटों को हल करने के लिए एक नए रास्ते की तलाश करनी होगी. जहां तक बात लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की है, उनके सामने अब यह चुनौती है कि वे पार्टी की पुरानी पहचान और कार्यकर्ताओं के विश्वास को पुनः स्थापित करें, ताकि राजद फिर से बिहार की राजनीति में अपनी मजबूत स्थिति बना सके.

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