‘आम आदमी के दिल पर खंजर है ये बजट’ लालू-तेजस्वी ने बजट पर दी प्रतिक्रिया, कहा- फिर हुई निराशा
आम बजट 2024 में बिहार को मिली सौगातों और विशेष राज्य का दर्जा न मिलने पर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने अपने खास शायराना अंदाज में प्रतिक्रिया दी है. साथ ही तेजस्वी यादव और रोहिणी आचार्या ने भी इस बजट को निराशाजनक बताया है.
Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी 3.0 का पहला बजट मंगलवार को पेश किया. इस बजट में बिहार को कई तोहफे मिले हैं. लेकिन बिहार को इस बार भी विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला. जिस पर बिहार की सियासत गरमाई है. अब इस पर राजद सुप्रीमो लालू यादव, बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राज नेता रोहिणी आचार्या ने बिहार को लेकर हुई घोषणाओं पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि एक बार फिर से बिहार को निराश किया गया.
लालू यादव ने किया पोस्ट
लालू यादव ने अपने खास अंदाज में बजट की आलोचना की है. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि एक घिसा-पिटा हट है ये बजट, जुमलों की रट है ये बजट, गरीब और किसान के सपने कर रहा बंजर है ये बजट, आम आदमी के दिल पर खंजर है ये बजट.
आवंटित योजनाओं को नयी सौगात बताकर बिहार का अपमान न करें- तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने कहा है कि रूटीन आवंटन, पूर्व स्वीकृत, निर्धारित और आवंटित योजनाओं को नई सौगात बताने वाले बिहार का अपमान न करें. पलायन रोकने, प्रदेश का पिछड़ापन हटाने तथा उद्योग धंधों के साथ-साथ युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए हम विशेष राज्य के दर्जे की मांग से इंच भर भी पीछे नहीं हटेंगे. तेजस्वी यादव ने कहा है कि आज के बजट ने बिहार के लोगों को फिर निराश किया है. बिहार को प्रगति पथ पर ले जाने के लिए एक रिवाइवल प्लान की जरूरत थी. जिसके लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ विशेष पैकेज की सख्त जरूरत है.
भरमाने वाला है बजट : रोहिणी आचार्य
बजट पर लालू यादव की बेटी और राजद नेता रोहिणी आचार्य ने बजट को भरमाने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि आज पेश किया गया बजट गुमराह करने वाला है. पुराने प्रावधानों को इस तरह से पेश किया गया है कि आम आदमी को लगे कि कुछ बड़ी रियायतें और राहत दी गई हैं और चरमराती अर्थव्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से बड़े बदलाव किए गए हैं.
रोहिणी ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे बिहार के लिए वित्तीय सहायता के रूप में मात्र 41,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. यह बिहार के हितों की सीधी-सीधी अवहेलना है. यह तो ऊंट में मुंह में जीरा जैसी बात हो गई. कुछ निजी निर्माण और सीमेंट कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बिहार में राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए 26,000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है. लेकिन बिहार की जर्जर ग्रामीण सड़कों के विकास के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है.