Bihar Investment: बिहार अपने भावी निवेशकों के लिए भूमि उपलब्ध कराने के लिए भूमि बैंक बना रहा है. इसके लिए भूमि अधिग्रहण की तैयारी चल रही है. जिला अधिकारियों को औपचारिक रूप से औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े भूखंडों की पहचान करने को कहा गया है, ताकि सरकारी नियमों और विनियमों के तहत भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जा सके.
बड़े निवेशकों की मांग पूरी करने की योजना पर हो रहा काम
बिहार में इस समय निवेश योग्य भूमि बैंक में करीब 1500 एकड़ जमीन ही बची है. उद्योग विभाग की मंशा राष्ट्रीय राजमार्गों और यातायात के लिए बेहद सुविधाजनक स्थानों पर 100 एकड़ या उससे अधिक भूमि को प्राथमिकता देने की है. फिलहाल बिहार में 50-100 एकड़ के भूखंड लगभग नहीं हैं. इसलिए विभाग बड़े निवेशकों की मांग को पूरा करने के लिए भविष्य की योजना पर काम कर रहा है. समय रहते भूमि बैंक तैयार करने पर विभाग का पूरा ध्यान है.
लैंड पूलिंग भी हो सकता है भविष्य का प्लान
अगर उद्योग विभाग औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं कर पाता है तो वह लैंड पूलिंग के जरिए जमीन अधिग्रहण कर सकता है. हालांकि, भविष्य में जमीन अधिग्रहण करने का यह एक विकल्प है. इस विकल्प में किसानों से जमीन ली जाती है. सरकार औद्योगिक जरूरतों के हिसाब से उसका विकास करती है. इसमें किसान स्वेच्छा से जमीन देते हैं. नीति के तहत उन्हें मुआवजा आदि मिलता है. विकसित जमीन का कुछ हिस्सा किसान को वापस भी किया जाता है. वह इसे जिसे चाहे बेच सकता है. गुजरात ने लैंड पूलिंग के जरिए जमीन अधिग्रहण का सफल प्रयोग किया है. यूपी ने हाल ही में लैंड पूलिंग नीति बनाई है.
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जमीन एक्वायर करने की रणनीति
औद्योगिक जरूरत की पूर्ति के लिए जमीन एक्वायर करने की रणनीति है. विभाग ने इस दिशा में सारे जिलों के जिलों को पत्र लिखा है. हम भविष्य की जरूरत के लिए लैंड बैंक बना रहे हैं. इस दिशा में हमारे पास और भी कई विकल्प हैं.
आलोक रंजन घोष, निदेशक, उद्योग विभाग