बिहार में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी है. विभाग ने निर्देश दिया है कि बाढ़ के दौरान डॉक्टर मरीजों के इलाज के लिए सभी अस्पतालों में तैनात रहेंगे. इस दौरान जलजमाव में कई प्रकार की जलजनित बीमारियों का खतरा होता है. साथ ही बाढ़ में पानी से घिरे लोगों को, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजूर्गों को इलाज की सुविधा सुनिश्चित करनी है.
इन 9 जिलों में नहीं होगा लागू….
स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव शैलेश कुमार ने सिविल सर्जनों को भेजे गये निर्देश में कहा है कि दक्षिण बिहार के अरवल, औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, नवादा और रोहतास जिले को छोड़ कर सभी जिलों में यह लागू होगा. इन जिलों को छोड़ कर अन्य जिलों में पदस्थापित सभी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी नियोजित सहित, स्वास्थ्य प्रशिक्षक, पारा मेडकल स्टाफ, जीएनएम, एएनएम, शल्य कक्ष सहायक, लैब तकनीशियन और कार्यालय परिचारी की सभी प्रकार की छुट्टी रद्द की जाती है.
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बिहार में बाढ़ का संकट
गौरतलब है कि बिहार में बाढ़ के हालात कई जिलों में बने हुए हैं. प्रदेश की नदियों में उफान है. कोसी-सीमांचल व चंपारण समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां गांव जलमग्न दिखने लगे हैं. नदियों का जलस्तर जहां घट रहा है वहां कटाव का संकट गहरा रहा है. आए दिन कई घर-मकान नदी में विलीन होने की सूचना सामने आ रही है. बिहार में अभी बारिश का दौर पिछले कुछ दिनों से थमा हुआ है. मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि कुछ दिनों के बाद मानसून अपनी रफ्तार और तेज करेगा. ऐसी स्थिति में बाढ़ का संकट और अधिक गहरा सकता है. इसे लेकर अस्पतालों को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है.
बाढ़ पीड़ितों में संक्रमण का खतरा
बता दें कि बाढ़ का संकट गहराने के बाद कई तरह की बीमारियां बाढ़ग्रस्त इलाके में पांव पसारती है. ऐसे समय में स्वास्थ्य विभाग की टीम को अलर्ट मोड पर रहने की जरूरत होती है. बाढ़ पीड़ितों के लिए कैंप भी लगाए जाते हैं. वहीं राहत शिविरों के इंतजाम किए जाते हैं जहां स्वास्थ्य टीम को भी सक्रिय रहने की जरूरत होती है.