बिहार में सभी आंदोलनकारियों का जुटान हुआ है. यहां से देश में बदलाव का रास्ता निकलेगा. दुनिया के कई देशों में फासीवाद सर उठा रहा है. हर देश में प्रगतिशील ताकतों को मजबूत करने की जरूरत है. इस कारण अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता भी जरूरी है. ये बातें गुरुवार को पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में भाकपा- माले के 11 वां महाधिवेशन के उद्घाटन कार्यक्रम में माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने कही.
दीपांकर ने कहा कि देश में 2014 से फासीवाद का स्वरूप खुल कर सभी के सामने आ रहा है. यही कारण है कि केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी भारत में बर्दाश्त करने वाली नहीं है ऐसे में अभी 2024 चुनाव तक झूठ, दमन, नफरत का सामना करना पड़ेगा. इसलिए महाधिवेशन से सभी संकल्प लेंगे कि जमीनी स्तर पर इस वर्ष इतनी मेहनत करेंगे और केंद्र सरकार की गरीब और किसान विरोधी नीतियों से लोगों को रूबरू कराएंगे, ताकि केंद्र सरकार को अगले चुनाव में देश की गद्दी से हटा सकें.
माले महासचिव ने कहा कि केंद्र सरकार का बजट गरीब विरोधी है और सरकार अंग्रेजों के रास्ते पर चलकर लोगों को बांट कर राज करना चाहती है. बीजेपी व आरएसएस के जाल को तोड़ने के लिए लंबी लड़ाई लड़ना है, ताकि निजीकरण, बुलडोजर राज , शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण के सवाल पर व्यापक एकता बन सकें.
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल ने भाई चारे और एकता के संदेश के साथ महाधिवेशन के भव्य सफलता की कामना की. उन्होंने भारत व नेपाल के कम्युनिस्टों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में नेपाल ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत में लोकतंत्र पर मंडराता हुआ संकट जरूर टलेगा और जो भी ताकतें तानाशाही थोपने का प्रयास करती हैं, उन्हें पीछे धकेल दिया जाता है.
सीपीआइ के पल्लव सेन गुप्ता ने फासीवादी खतरे, पर्यावरण असंतुलन, दलित अधिकारों को खत्म करने साजिश, न्याय तंत्र पर मंडराता खतरा पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि हमें भी एक व्यापक एकता के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना होगा.
सीपीएम के सलीम ने राष्ट्रीय संपदा की लूट, मोदी राज में आधारभूत संरचनाओं को ध्वस्त करने की जारी प्रक्रिया, पब्लिक सेक्टर का निजीकरण, बेरोजगारी, बुलडोजरराज, लव जिहाद, किसान आंदोलन पर चर्चा की.
माले नेता स्वदेश भट्टाचार्य ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले पांच दिनों तक चलने वाला महाधिवेशन फासीवादी ताकतों के खिलाफ व्यापक विपक्ष की एकता के निर्माण की दिशा में एक बड़ा पड़ाव साबित होगा.