कंचन कुमार, बिहारशरीफ: शहर में सेल्फ स्टडी वाले लाइब्रेरी का कारोबार तेजी से पनप रहा है. धनेश्वरघाट, रामचंद्रपुर, गढ़पर, अम्बेर, पटेल नगर, खंदकपर, निचली किला, पहाड़ी पर, इंतवारी मोड़, सोहसराय, कमरूउद्दीनगंज, आलमगंज, कागजी मोहल्ला, भैंसासुर, काशीतकिया जैसे स्टूडेंट रहने वाले इलाकों में लगातार लाइब्रेरी खुल रहे हैं. गत तीन वर्षों के भीतर शहर में करीब छोटे-बड़े 83 लाइब्रेरी खुल गये हैं. टीचिंग लाइन में असफल कोचिंग संचालकों के लिए लाइब्रेरी खाेलना मनपंसद धंधा के रूप में विकसित हो रहा है.
कोरोना काल में नौकरी, इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसी क्षेत्रों की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंटों में सेल्फ स्टडी प्रवृति विकसित हुआ है. पढ़ाई की इस बदली तरीका का पूंजपतियों ने लाइब्रेरी के रूप में कारोबार विकसित कर लिया. जहां लाइट, पानी, न्यूज पेपर, मासिक मैगजिन, एयरकंडीशन जैसे वातावरण उपलब्ध कराया जाता है और 24 घंटें आने जाने की सुविधा होती है.
स्टूडेंट अपने सुविधा के अनुसार किताब लेकर आते हैं और पढ़ाई करते हैं. ऐसे सुविधाजनक लाइब्रेरी में प्रति चार घंटे के लिए एक माह 350 रुपये शुल्क लिया जाता है. बिहारशरीफ में जिला समेत नवादा, शेखपुरा, जमुई जैसे जगहों से हजारों स्टूडेंट किराया पर रहते हैं, जहां कई स्टूडेंट मिलकर एक कमरे में रहे हैं. ऐसे कमरे में 24 घंटे पढ़ाई का वातावरण नहीं मिलते हैं. ऐसे स्टूडेंट के लिए लाइब्रेरी पढ़ाई के लिए बेहतर विकल्प बनकर उभर रहा है.
एक साथ सौ स्टूडेंट बैठने वाले लाइब्रेरी के लिए 435.6 स्कवायर फुट जगह की जरूरत होती है, जिसमें तैयार करने में करीब पांच लाख रुपये की लागत आती है. वहीं 200 से 250 स्टूडेंट क्षमता वाली लाइब्रेरी बनाने में करीब आठ लाख रुपये खर्च आती है. यदि यह चल जाती है तो 50 हजार से एक लाख रुपये प्रतिमाह आसानी से आमदनी होती है. इसमें जीएसटी से लेकर अन्य व्यवसायिक कागजी प्रक्रिया का भी जरूरत नहीं पड़ता है. अब तक आयकर विभाग और नगर निगम के व्यवसायिक प्रकोष्ठ को भी इसपर नजर नहीं पड़ा है, इसके कारण लाइब्रेरी संचालकों को कोई टैक्स भरने की झंझट भी नहीं होता.
लाइब्रेरी में सेल्फ स्टडी करने वाले ही युवाएं आते हैं. छात्रों की मांग के अनुसार लाइब्रेरी संचालक किताबों, पेपर, मासिक मैगजिन, वाई-फाई जैसी सुविधा उपलब्ध कराते हैं, जिसका लाभ पढ़ने की ललक वाले युवा उठाते हैं. मौसम के अनुसार लाइब्रेरी में सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. जैसे गर्मी में एयरकंडिशन और ठंड के मौसम में एयर हीटर उपलब्ध कराये जाते हैं. लाइब्रेरी संचालक मच्छर से बचाव के लिए अपने यहां समय समय पर दवाओं का छिड़काव करते हैं. लाइब्रेरी को ध्वनिप्रुफ रखने और वहां शांति वातावरण विशेष व्यवस्था रहता है. यहीं कारण है कि जिन बच्चों के स्वयं का आवास होते हैं, वे भी लाइब्रेरी में सेल्फ स्टडी में अधिक विश्वास करते हैं.
पढ़ने वालों के लिए लाइब्रेरियों में तीन शिफ्ट में चलते हैं इसके कारण लाइब्रेरी वाले मोहल्लों में देर रात तक चहल-पहल देखने को मिलती है. इससे काफी हद तक आपराधिक तत्वों की गतिविधियों पर अंकुश लग रहा है. साथ ही लाइब्रेरी के आस पास चाय-अंडा और नाश्ते की अस्थायी दुकानें भी खूब चलती हैं.
अधिकांश लाइब्रेरी खुलने से पहले उसके संचालक अग्निशमन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पर्यावरण विभाग और नगर निगम से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेना उचित नहीं समझते हैं. प्रशासन भी बिना एनओसी के खुल रहे लाइब्रेरी संचालक व मकान मालिक की ओर ध्यान नहीं दे रहा है. शहर की तंग गलियों वाले मोहल्लों में भी तेजी से लाइब्रेरी खुल रहा है, जहां सहजता से वाहन व एंबुलेंस तक नहीं पहुंच सकती है. नतीजतन कोई दुर्घटना होने पर अग्निशमन वाहन और एंबुलेंस जैसी सुविधा वहां पहुंचना मुश्किल हो जायेगा. प्रारंभिक हेल्थ किट, आग से निबटने के लिए यंत्र भी नहीं रहता है.
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कौशल कुमार दिन में निजी कोचिंग सेंटर में बच्चों का क्लास लेते हैं और वे शाम आठ बजे से 12 बजे रात तक लाइब्रेरी में बैठ कर एसएससी, बीपीएससी जैसी नाैकरी के लिए पढ़ाई करते हैं. रामचंद्रपुर निवासी विकास कुमार सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और वे बीपीएससी की तैयारी के लिए लाइब्रेरी में बैठक कर पढ़ते हैं. जमुई निवासी शहर के एक मॉल में एकाउंट का काम करते हैं और अहले सुबह चार बजे से आठ बजे तक लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई करते हैं. एक दो नहीं बल्कि हजारों युवक हैं जो दूर-दराज के गांव से आकर यहां एक कमरे में कई लोग मिलकर रहे हैं और मॉल, होटल, निजी या सरकारी क्षेत्र में छोटे-मोटे नौकरी करते हैं. इसके बाद पढ़ाई के लिए चार घंटे का समय निर्धारित कर लिया है.
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मासिक किराया- 15 हजार (मासिक खर्च)
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एयरकंडिशन- 80 हजार (एक मुश्त )
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इनवर्टर- 50 हजार (एक मुश्त )
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फर्निचर- तीन लाख (एक मुश्त )
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न्यूज पेपर, मैगजिन- 500 (मासिक )
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बिजली -15 हजार (मासिक )