आइजीआइएमएस में लिंक फेल खून की जांच के लिए लगी लाइन

Patna News : इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में लिंक फेल होने की घटना आम होते जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 24, 2024 1:04 AM
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संवाददाता, पटना

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में लिंक फेल होने की घटना आम होते जा रही है. अक्सर लिंक फेल होने की वजह से मरीजों को इलाज से वंचित होना पड़ता है. इसी क्रम में संस्थान में सोमवार को पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर नंबर 100 का लिंक फेल हो गया. इससे इलाज व ब्लड जांच में परेशानी हुई. जानकारों की माने तो पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर 100 नंबर कमरा के लिए कूपन देने तथा कलेक्शन के लिए बारकोड देने वाली मशीन आदि से जुड़े उपकरणों का सर्वर का लिंक फेल हो गया. इस कारण मरीजों व उनके परिजनों को एक-दो घंटे कतार में लगे रहना पड़ा. संस्थान के कर्मचारी सर्वर में गड़बड़ी की जानकारी देकर लोगों को इंतजार करने की सलाह दे रहे थे. इसके अतिरिक्त मरीजों के एडमिशन तथा डिस्चार्ज को लेकर भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. एडमिशन व डिस्चार्ज में भी दिक्कत जहानाबाद से आये मनोज कुमार के भाई राजू ने बताया कि उनके भाई को मेडिसिन विभाग में दिखाया. जहां एक सीनियर डॉक्टर ने खून की जांच कराने को कहा. इसके बाद पैसे कटा कर 100 नंबर कमरे में गया, तो वहां कूपन लेने व कलेक्शन देने में दो घंटे से अधिक के समय लग गया. सर्वर की गड़बड़ी के चलते यह परेशानी कई मरीजों को देखने को मिली. गर्दनीबाग अस्पताल में अब नहीं कटेगी बिजली, डेडिकेटेड फीडर का होगा निर्माण पटना. गर्दनीबाग अस्पताल में भर्ती मरीजों व डॉक्टरों को अब बिजली कटने के बाद मोबाइल टार्च से इलाज करने की जरूरत नहीं होगी. जल्द ही अस्पताल में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए डेडिकेटेड फीडर का निर्माण किया जायेगा. इससे अस्पताल के नयी व पुरानी बिल्डिंगों में बिना रुकावट बिजली आपूर्ति की जायेगी. गर्दनीबाग अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में जल्द ही डेडिकेटेड फीडर का निर्माण किया जा रहा है, लगातार बिना ब्रेकडाउन के बिजली सप्लाइ की जायेगी. गर्दनीबाग अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल में नया फीडर निर्माण के लिए बिजली कंपनी को 60 लाख रुपये का आवंटन किया जा चुका है. वहीं, गर्दनीबाग बिजली प्रमंडल के जेइ ने बताया कि अस्पताल में नया फीडर का निर्माण हो रहा है. इसके लिए अस्पताल से सहमति पत्र मांगा गया है.

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