बिहार में शराबबंदी होने के बाद भी आए दिन शराब तस्करी होती है. इन्हीं शराब तस्कर को पकड़ने के लिए अब मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग नया कदम उठाने जा रहा है. विभाग अब शराब माफियाओं की जड़ें तलाशने के लिए प्राइवेट जासूसों (डिटेक्टिव) की सेवा लेगा. इसके लिए सक्षम एजेंसियों की तलाश भी शुरू कर दी गयी है. यह एजेंसियां न सिर्फ अवैध देशी शराब बनाने वाले बल्कि बड़े पैमाने पर सूबे में विदेशी शराब की सप्लाई करने वाले माफियाओं तक पहुंचेगा और उसकी सूचना विभाग को देगा. इसके बदले में उनको निश्चित रकम या कमीशन ऑफर की जायेगी.
अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई में फोर्स के लिहाज से बिहार पुलिस की बड़ी भूमिका है. लेकिन अकसर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि पुलिस के द्वारा सिर्फ छोटे कैरियर या शराब पीने वालों पर ही अधिक कार्रवाई की जाती है. चाणक्य विधि विवि (सीएनएलयू) के द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में भी यह बात सामने आयी थी कि पुलिस बड़े माफियाओं को पकड़ने से बचती है. 62 फीसदी लोगों ने माना था कि अगर पुलिस की सख्ती बढ़े तो शराबबंदी और बेहतर ढंग से लागू की जा सकती है. इसको ध्यान में रखते हुए मद्य निषेध विभाग अपने स्तर से जांच को लेकर अब निजी जासूसी एजेंसी की सेवाएं लेने जा रहा है.
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विभागीय अधिकारियों के मुताबिक प्राइवेट जासूस पकड़े गये अभियुक्तों से हुई पूछताछ में मिले सुरागों के आधार पर अलग से जांच करेगी. इसके माध्यम से अवैध शराब सप्लाई की आखिरी कड़ी तक पहुंचने का प्रयास किया जा सकेगा. कई बार शराब के मामले में पुलिस की संलिप्तता को देखते हुए आम लोग जानकारी होने के बावजूद सूचना देने से डरते हैं. लेकिन निजी स्तर पर जांच होने से माफियाओं तक पहुंचना और उनको स्पेशल टास्क फोर्स की मदद से पकड़ना आसान हो जाएगा.