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छपरा शराबकांड पर मद्यनिधेष मंत्री ने दी विस्तृत जानकारी, बोले- विपक्ष कर रहा राजनीति, अब तक 38 की गयी जान

मद्यनिधेष उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार ने शराब बेचना और पीना दोनों को अपराध बताते हुए कहा कि शराब से मरने पर मुआवजा का कोई नियम नहीं है. शराबबंदी कानून की विभिन्न धारा का उल्लेख करते हुए कहा कि आइपीसी की धारा जिस पर लगती है, उस अपराध में मुआवजा नहीं मिलता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2022 11:35 PM

मद्यनिधेष उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार ने छपरा के जहरीली शराबकांड को लेकर मरने वालों की संख्या और सरकार के स्टैंड को स्पष्ट कर दिया है. उनका कहना है कि इस घटना में अभी तक मात्र 38 लोगों की मौत हुई है. इन मौतों को लेकर सरकार मर्माहत है. विपक्ष या अन्य किसी को लगता है कि यह संख्या अधिक है, तो वह हमें सूची सौंप दें. हम पड़ताल करा कर अपने आंकड़ों को ठीक कर लेंगे. सरकार मौतों को छिपा नहीं रही है.

शराब से मरने पर मुआवजा का कोई नियम नहीं

मंत्री सुनील कुमार सोमवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर विधानसभा परिसर में विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और एडीजीपी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार के साथ जहरीली शराब के मुद्दे पर प्रेस काॅन्फ्रेंस कर रहे थे. मंत्री ने शराब बेचना और पीना दोनों को अपराध बताते हुए कहा कि शराब से मरने पर मुआवजा का कोई नियम नहीं है. शराबबंदी कानून की विभिन्न धारा का उल्लेख करते हुए कहा कि आइपीसी की धारा जिस पर लगती है, उस अपराध में मुआवजा नहीं मिलता है.

शराब का धंधा करने वालों से वसूल कर दिया गया था मुआवजा 

भाजपा द्वारा गोपालगंज के तर्ज पर मुआवजा देने की मांग को खारिज करते हुए बताया कि साल 2016 में गोपालगंज में जो लोग मरे थे उनको मुआवजा शराब का धंधा करने वालों से वसूल कर दिया गया था. भाजपा भी सरकार में थी जब एक्ट बना. उसमें मुआवजे का प्रावधान नहीं है. आरोपितों के दोषी होने पर संपत्ति जब्त कर सहायता देने का नियम है.

अभी कार्रवाई चल रही है

छपरा मामले में अभी कार्रवाई चल रही है. दो केस दर्ज किये हैं. दाे थानेदार ,चार चौकीदार- दफादार निलंबित कर दिये हैं. 13 आरोपित हैं. 25 से अधिक गिरफ्तारी की गयी है. पुलिस और मद्यनिषेध विभाग की विशेष टीम गठित कर दी गयी हैंं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. जांच में दोषी पाये जाने वाले अधिकारियों को भी दंडित किया जायेगा.

अगले माह से सघन अभियान की तैयारी

अगले माह से धंधेबाजों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है. बिहार के बाहर के 7000 धंधेबाजों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पटना में सबसे अधिक कार्रवाई हो रही है. एक्साइज विभाग की पुन: संरचना की जा रही है. विभिन्न सर्वे की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए शराबबंदी के लाभ गिनाते हुए मंत्री ने दावा किया एक लाख 47 हजार से अधिक उन गरीबों को रोजगार दिया जाे शराब का धंधा से जुड़े थे. 2024 तक योजना में 100 करोड़ आवंटित हैं. इस तरह की घटना दोबारा न घटे इसके लिए भी सख्त कदम उठाए जाएंगे.

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शराबबंदी फेल नहीं चुनौती

मंत्री सुनील कुमार ने बिहार में शराबबंदी फेल होने के आरोपों को खारिज करते हुए साफ कहा कि यह फेल नहीं हुई है. बल्कि इसको लागू कराना चुनौती है. शराबबंदी के कारण न तो हमारी पार्टी की लोकप्रियता पर असर पड़ा है और छपरा जैसी घटनाओं से सरकार की छवि को आंकना भी नहीं चाहिए. शराबबंदी का जहरीली शराब से मरने की घटना को नहीं देखा जा सकता. यदि ऐसा होता तो कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब , यूपी में लाेग नहीं मरते. एमपी में 1200, कर्नाटक में 700 और यूपी में भी सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. बिहार में अन्य राज्यों की तुलना में मौतों की संख्या बहुत कम है. घटना की जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा देने से इन्कार करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन शराबबंदी लागू कराने में सक्षम है.

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