पटना. बिहार में ड्रग्स या शराब का सेवन करने वाले लोग अब किसी भी हाल में नहीं बच सकेंगे. इसके लिए मद्य निषेध विभाग ने अब नयी तैयारी की है. विभाग अब ब्रेथ एनलाइजर या अन्य स्रोतों से जांच में स्पष्ट नहीं होने पर लोगों के खून या यूरीन की जांच कर उसमें नशीले पदार्थ की मात्रा का पता आसानी से लगा सकेगा.
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने इसके लिए जापानी कंपनी सीमाजू से 1.40 करोड़ की लागत पर गैस क्रोमोटोग्राफी एंड मास स्पेक्ट्रोमीटर मशीन खरीदी है. इस मशीन की सहायता से खून में अल्कोहल की मात्रा के साथ ही सभी प्रकार के जहरीले व नशीले पदार्थ जैसे चरस, गांजा, अफीम आदि की जांच की जायेगी. यह मशीन जहरीली शराब में पाये जाने वाले रसायनों की भी मात्रा की पहचान कर बता सकेगी.
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के उपायुक्त कृष्ण कुमार ने बताया कि विभाग के लैब में शराब के नमूनों की जांच की व्यवस्था नहीं होने की वजह से नशे में पकड़े गये लोगों के खून के नमूनों को जांच के लिए बाहरी लैब में भेजा जाता था. मगर अब विभागीय लैब में ही इसकी जांच होने से रिपोर्ट के लिए अधिक इंतजार नहीं करना होगा. अत्याधुनिक मशीन से सैंपल जांच की शुरुआत कर दी गयी है.
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अधिकारी के मुताबिक फिलहाल खून या यूरीन में शराब की मात्रा की जांच समेत अन्य मादक पदार्थों की जांच के लिए औसत 150 सैंपल प्रत्येक दिन लिये जाते हैं. इस तरह हर माह औसत साढ़े चार हजार से पांच हजार सैंपल की जांच की जाती है. अब यह सभी जांच कम समय और कीमत पर मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की लैब में ही हो जायेगी. मशीन चलाने का प्रशिक्षण भी लैब तकनीशियनों को दिया जा चुका है.