रालोजपा के 23वां स्थापना दिवस पर रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि जब दल टूटता है, तो वह फिर से जुट जाता है, मगर जब दिल टूटता है तो वह नहीं जुड़ता. चिराग ने दल और दिल दोनों तोड़ कर पार्टी के संस्थापक स्व रामविलास पासवान के सपनों को चकनाचूर किया है. जब तक जिंदा हैं, एनडीए का साथ नहीं छोड़ेंगे. 2024 का लोकसभा चुनाव और 2025 का विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ लड़ेंगे.
पशुपति पारस ने कहा कि चिराग विधानसभा चुनाव के समय एनडीए छोड़ कर चले गये और आज एनडीए में आने के लिए व्याकुल हैं. अगर वे केंद्र में मंत्री बनते हैं तो उनका स्वागत है. सोमवार को केंद्रीय मंत्री रवींद्र भवन में पार्टी के 23वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने पार्टी के संस्थापक स्व रामविलास पासवान, दलित सेना के पूर्व अध्यक्ष स्व रामचंद्र पासवान और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के तैल्य चित्र पर माल्यर्पाण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुरुआत की.
मौके पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने कहा कि बिहार में 40 लोकसभा व 243 विधानसभा की सीटें हैं, इतने ही टिकट दिये जा सकते हैं, मगर सभी कार्यकर्ताओं का दायित्व है कि पार्टी की मजबूती के लिए काम करें. कार्यक्रम को सांसद महबूब अली कैसर, सांसद वीणा देवी, सांसद चंदन सिंह और विधान पार्षद भूषण कुमार ने भी संबोधित किया.
कार्यक्रम का संचालन प्रदेश के प्रधान महासचिव केशव सिंह और अतिथियों का स्वागत राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने किया. मौके पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व बिहार प्रभारी अनिल चौधरी, रामजी सिंह, डॉ उषा शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव ब्रह्मदेव राय, सुनीता शर्मा, विरेश्वर सिंह, रूचिता शर्मा, शिवानी सेन गुप्ता और गुप्तेश्वर राय मौजूद थे.
केंद्रीय मंत्री पारस ने राज्य सरकार पर भी हमला बोलते हुए कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून फेल है. सब जगह शराब मिल रही है. इस कानून के चपेट में सबसे अधिक गरीब-गुरुबा आ रहे हैं. अगर यह कानून ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है ,तो मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करुंगा की इसे वापस ले लें. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पासवान जाति के सरकारी कर्मियों से दुराभाव कर रही है. इस जाति के अधिकतर अधिकारियों को शंटिंग में डाल दिया गया है. मेरी सरकार से मांग है कि जिले में पुलिस अधीक्षक या जिलाधिकारी में कम -से- कम एक दलित समुदाय के रखें.