बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आया है. लोजपा में बड़ी टूट हुई है और चिराग पासवान को अकेला छोड़कर पार्टी के बांकि पांच सांसदों ने अलग मोर्चा बना लिया है. जिसका नेतृत्व रामविलास पासवान के भाई और हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस कर रहे हैं. बांकि के चार सांसदों ने उन्हें अपना नेता मान लिया है और संसदीय बोर्ड व पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया है. इसे लेकर सियासी गलियारे में कई तरह की चर्चाएं जारी है. इस बीच खुद पशुपति पारस ने स्पस्ट किया है कि आगे उनकी क्या रणनीति है…
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ सरेआम मोर्चा खोल दिया था. रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा की कमान अब चिराग पासवान के हाथ में जा चुकी थी. चिराग ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व का जमकर विरोध किया और पूरे चुनाव में सीएम के खिलाफ जाकर उनपर हमला बोला था. लोजपा ने जदयू के सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा. बताया जाता है कि पशुपति कुमार पारस समेत अन्य सांसद इससे नाराज थे. वहीं चिराग के काम करने के तरीके से भी अधिकतर नेता पार्टी में नाराज थे.
पशुपति कुमार पारस ने न्यूज 18 से बात करते हुए बताया कि पांचो सांसद लोजपा से अलग नहीं होंगे. वो पार्टी को नये तरीके से चलाएंगे. उन्होंने बताया कि ये फैसला मजबूरन लेना पड़ा. अब बड़े साहब (रामविलास पासवान) की आत्मा को सुकून मिलेगा. वो जिस तरह पार्टी चलाते थे और आगे लेकर चलना चाहते थे, लोजपा अब उसी तरीके से आगे काम करेगी.
जदयू में शामिल होने की कोइ भी बात सामने नहीं आ रही है. उन्होंने स्पस्ट किया है कि लोजपा में रहकर ही सभी सांसद काम करते रहेंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसा जताया है और एनडीए के साथ बिहार में लोजपा को आगे बढ़ाने की बात कही है. बता दें कि चिराग से अलग होने वाले खेमे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र सौंपा है और आज चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी आज देने वाले हैं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan