पटना : बिहार में प्रवासियों के लिए खोले गये कोरेंटिन सेंटर 15 जून से समाप्त हो जायेंगे. सूचना एवं जन-संपर्क के सचिव अनुपम कुमार ने रविवार को इसकी जानकारी दी. अनुपम कुमार ने कहा कि राज्य में लॉकडाउन के संबंध में गृह मंत्रालय (भारत सरकार) से जो दिशा-निर्देश प्राप्त हुए हैं. उसे वैसे ही लागू किया जायेगा. लॉकडाउन संबंधित केंद्र के एक बार के आदेश में राज्य सरकार अन्य किसी बात को जोड़-घटा नहीं रही है.
सूचना एवं जन-संपर्क के सचिव अनुपम कुमार ने कहा कि बिहार में 15 जून तक ब्लॉक कोरेंटिन सेंटर्स चलाने के बाद उसे समाप्त किया जायेगा. उन्होंने बताया कि अब अधिकांश इच्छुक लोग बिहार आ चुके हैं. शेष अन्य भी एक से दो दिन के अंदर आ जायेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि डोर टू डोर स्क्रीनिंग के समय गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को चिह्नित कर उनका विशेष रूप से ध्यान रखा जायेगा. अब लॉकडाउन में काफी हद तक ढील दी जा चुकी है और अब काफी गतिविधियां बढ़ेंगी. अब सरकार बड़े पैमाने पर सभी पंचायतों में माइकिंग एवं विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स, होर्डिंग्स, रेडियो, टेलीविजन के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलायेगी.
सचिव सूचना एवं जन-संपर्क ने बताया कि अभी की तिथि में आपदा राहत केंद्रों की संख्या कम हो रही है, क्योंकि परिवहन की सुविधा मिलने से ज्यादातर लोग अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं. बिहार के विभिन्न शहरों में ठेला वेंडर, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शाचालक एवं अन्य जरूरतमंद लोगों के भोजन, आवासन एवं उनके स्वास्थ्य जांच के लिए वर्तमान में 64 आपदा राहत केंद्र फंक्शनल है, जिसमें लगभग 11,500 लोग लाभान्वित हो रहे हैं. ब्लॉक कोरेंटिन सेंटर्स की संख्या अभी 12,291 हैं. इनमे अभी तक कुल 13 लाख 71 हजार 266 लोग आवासित हुए हैं. परन्तु, इनमें से 7 लाख 94 हजार 474 लोग कोरेंटिन की निर्धारित अवधि पूरी कर अपने घर जा चुके हैं और वे अब होम कोरेंटिन में हैं. वर्तमान में 5 लाख 76 हजार 792 लोग ब्लॉक कोरेंटिन सेंटर्स में आवासित हैं.
मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना के अंतर्गत अब तक 20 लाख 44 हजार 531 बाहर फंसे बिहार के लोगों के खाते में 1,000 रुपये की राशि अंतरित कर दी गयी है. अभी तक 1 करोड़ 41 लाख राशन कार्डधारियों के खाते में 1,000 रुपये की सहायता राशि भेजी जा चुकी है. ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका के द्वारा और शहरी क्षेत्रों में एनयूएलएम के द्वारा राशन कार्ड विहीन परिवारों का सर्वे कराया गया था, जिसके आधार पर 21 लाख सुयोग्य परिवारों को भी 1,000 रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करा दी गयी है. रोजगार सृजन पर सरकार का विशेष ध्यान है और सभी संबंधित विभाग निरंतर इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
लॉकडाउन पीरियड में अभी तक लगभग 4 लाख 36 हजार से अधिक संचालित योजनाओं के अंतर्गत 4 करोड़ 17 लाख से ज्यादा मानव दिवसों का सृजन किया जा चुका है. प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए जो ट्रेनें शिड्यूल्ड की गयी थीं, उनमे से अधिकांशतः ट्रेनें बिहार आ चुकी हैं. आज की तिथि तक कुल 1,433 श्रमिक स्पेशल ट्रेन/सीमावर्ती इलाकों से चलाई गयी ट्रेनों के माध्यम से 19 लाख 47 हजार 127 लोग बिहार आये हैं.
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