लॉकडाउन : लॉकडाउन ने सामान्य बीमारी वाले मरीजों की मुसीबतें, पटना में रोजाना 10 हजार मरीजों के इलाज पर संकट
लॉकडाउन की वजह से सामान्य बीमारी वाले मरीजों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं. दरअसल लॉकडाउन के बाद पीएमसीएच छोड़ शहर के सभी बड़े व छोटे सरकारी अस्पतालों के ओपीडी बंद कर दिये गये हैं. इससे सामान्य इलाज वाले रोजाना 10 हजार मरीज अपना उपचार नहीं करा पा रहे हैं.
आनंद तिवारी, पटना : लॉकडाउन की वजह से सामान्य बीमारी वाले मरीजों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं. दरअसल लॉकडाउन के बाद पीएमसीएच छोड़ शहर के सभी बड़े व छोटे सरकारी अस्पतालों के ओपीडी बंद कर दिये गये हैं. इससे सामान्य इलाज वाले रोजाना 10 हजार मरीज अपना उपचार नहीं करा पा रहे हैं. वहीं डॉक्टरों का तर्क है कि वाहनों का परिचालन बंद होने से दूसरे जिलों के मरीज पटना नहीं पहुंच पा रहे हैं.
70 प्रतिशत होते हैं सामान्य बीमारी वाले
अस्पताल प्रशासन की ओर से दिये गये आंकड़ों के अनुसार शहर में संचालित आइजीआइएमएस के ओपीडी में रोजाना 3500, पीएमसीएच में 2 हजार से 2500, एम्स में 2 हजार व बाकी छोटे सरकारी अस्पतालों में 400 से 500 मरीज प्रतिदिन आते हैं. ऐसे में इन सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में रोजाना 10 हजार से अधिक मरीज इलाज कराने आते थे. इसमें 30 प्रतिशत गंभीर मरीज भी होते थे, जिन्हें इमरजेंसी में भर्ती किया जाता था. ऐसे में बाकी बचे करीब 70 प्रतिशत सामान्य बीमारी वाले मरीज कहां इलाज कराते होंगे और उनके स्वास्थ्य की क्या स्थिति है? इसकी चिंता किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को नहीं है.
मरीजों की बढ़ी परेशानी
आइजीआइएमएस के डॉ रत्नेश चौधरी के मुताबिक सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी ओपीडी बंद कर दिया है. इससे लोगों का उपचार कराना मुश्किल हो गया है. गंभीर ऑपरेशन छोड़ बाकी सभी ऑपरेशन अब टाल दिये गये हैं. जांच रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है. ऐसे में सामान्य मरीजों की परेशानी बढ़ी है.
पीएमसीएच की ओपीडी चालू लेकिन नहीं आ रहे मरीज व डॉक्टर : पीएमसीएच के अधिकारियों के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से पटना को छोड़ बाकी दूसरे जिले के मरीज नहीं आ रहे हैं. यहां तक कि पीएमसीएच में भी सिर्फ शहर के ही लोग पहुंच रहे हैं. हालांकि इमरजेंसी सेवाओं को बहाल रखा गया है. ऐसे में हार्टअटैक, ब्रेनस्ट्रोक, अस्थमा, दुर्घटना के मरीजों को सीधे इमरजेंसी में भर्ती किया जा रहा है.
पीएमसीएच का ओपीडी संचालित है, हालांकि ग्रामीण इलाकों में वाहन आदि साधान नहीं मिलने से मरीज नहीं आ पा रहे हैं. वहीं, जो मरीज पहुंच रहे हैं, उनका इलाज किया जा रहा है. गंभीर मरीजों को इमरजेंसी में भर्ती किया जा रहा है.