लॉकडाउन/कोरोना संकट : पटना हाइकोर्ट ने जमानत देकर पीएम केयर फंड में तीन लाख से अधिक की राशि जमा करायी
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश में लागू किये गये लॉकडाउन के समय शराबबंदी के मामलों में पटना हाइकोर्ट ने अभियुक्तों को सशर्त जमानत देते हुए पीएम केयर फंड में तीन लाख से अधिक की राशि जमा करवा दिया है. इस तरह का आदेश न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने शराबबंदी के मामले में अभियुक्तों के जमानत की सुनवाई के दौरान दिये हैं. पीएम केयर फंड में अभियुक्तों के पास बरामद शराब के हिसाब से राशि जमा करवाई गयी है.
पटना : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश में लागू किये गये लॉकडाउन के समय शराबबंदी के मामलों में पटना हाइकोर्ट ने अभियुक्तों को सशर्त जमानत देते हुए पीएम केयर फंड में तीन लाख से अधिक की राशि जमा करवा दिया है. इस तरह का आदेश न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने शराबबंदी के मामले में अभियुक्तों के जमानत की सुनवाई के दौरान दिये हैं. पीएम केयर फंड में अभियुक्तों के पास बरामद शराब के हिसाब से राशि जमा करवाई गयी है.
कोर्ट ने अभियुक्तों के पास शराब पकड़ी के बराबर की राशि पीएम केयर फंड में जमा कराने के बाद जमानत दी है. कोर्ट द्वारा लगाए गए शर्त को मानने के बाद कई अभियुक्त जमानत पर रिहा किये गये हैं.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फुल बेंच के गाइडलाइन पर ही अदालतें चले : समन्वय समिति
वहीं, पटना हाईकोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों की समन्वय समिति ने मुख्य न्यायाधीश संजय करोल से अनुरोध किया है कि कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की अवधि में सुप्रीम कोर्ट और पटना हाईकोर्ट के फुल बेंच के दिशानिर्देश पर ही प्रदेश की अदालतों में न्यायिक कार्यवाही चले. अर्थात विडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा वकील बहस करें और ई-मेल के माध्यम से केस को फाइल करें. क्योंकि देश के कुछ हाईकोर्ट ने न्यायालय की कार्यवाही 15 जून तक के लिए वर्चुअल तरीके से ही करने का फैसला लिया है.
समन्वय समिति के अध्यक्ष योगेश चन्द्र वर्मा ने अधिवक्ता समितियों की बैठक में कहा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को लॉकडाउन के समय में ही खोल दिया गया था. लेकिन, संक्रमण के बुरे प्रभाव के चलते उसे फिर बंद कर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई शुरू की गयी. बैठक में लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार ठाकुर, महासचिव राजीव कुमार सिंह बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सिंह एवं अन्य लोगों ने भाग लिया.
वकील प्रतिनिधियों ने मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि न्यायालय को खोल देने से अनावश्यक भीड़ बढ़ जाएगी. जिस पर लोगों के आने पर रोक लगाना कठिन हो जाएगा. इतना ही नहीं प्रदेश में कोरोना वायरस भयानक स्थिति की ओर बढ़ रहा है. अतः जहां तक संभव हो वीडियो कांफ्रेंसिंग व्यवस्था को सरल एवं सुगम बनाया जाए. ताकि अधिकांश वकील मामले की सुनवाई में शरीक हो सकें.
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