पटना : कोरोनावायरस संक्रमण के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के लागू होने के कारण राजधानी पटना के में लोग शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं. कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के फलस्वरूप गाड़ियों के सड़कों से गायब हो जाने एवं कल-कारखानों के बंद हो जाने के कारण पटना के प्रदूषण स्तर में कमी देखने को मिल रही है.धूल के बारीक कणों को छोड़ दें, तो पटना की आबोहवा लॉकडाउन के वर्तमान समय से कभी बेहतर नहीं हो सकती.
शहर के बीचोबीच चलने वाले कारखानों और वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसें, द्रव और कार्बन उत्सर्जन के तमाम कंटेंट बहुत कम हो गये हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार खासतौर पर हानिकारक जहरीली गैसें शून्य की स्थिति में आ चुकी हैं. इसके अलावा गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर के में भी आंशिक सुधार हुआ है. पटना में लॉकडाउन के दौरान जाइलिन, बेंजीन और टॉल्युइन तीनों हानिकारक गैसें शून्य की स्थिति में दर्ज की गयी हैं, जबकि ये तीनों गैस/द्रव अथवा कार्बन तत्व लॉकडाउन के पहले 21 मार्च को क्रमश: 1.95, 1.61 और 4.45 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गयी थीं.
बता दें कि 13 अप्रैल तक जाइलिन शून्य, बेंजीन की मात्रा औसतन 0.21 से 0.41 के बीच आ गयीं. टॉल्युइन की मात्रा औसतन 0.28 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर दर्ज की गयी है. ओजोन की मात्रा भी नाम मात्र के लिए बची है. इसके अलावा 21 मार्च को नाइट्रोजन ऑक्साइड(एनओ एक्स) की मात्रा जहां 153 पार्ट प्रति बिलियन थी. 13 अप्रैल को 94 पार्ट प्रति बिलियन हो गयी. इसी तरह नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड की मात्रा 158 से घटकर औसतन 121 पार्ट प्रति माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर घट गयी. सल्फर डाइ ऑक्साइड की मात्रा 15.72 से घटकर औसतन 14 रह गयी.