पटना: अनलॉक होने के बाद शहर के मार्केट खुलने से चहल-पहल बढ़ी है. धीरे-धीरे कारोबार पटरी पर लौट रहा है. लेकिन, दुकानों पर ग्राहकों के साथ-साथ जॉब मांगने वाले पहुंच रहे हैं. खासकर राजधानी के बड़े मार्केट जैसे खेतान मार्केट, हथुआ मार्केट, बाकरगंज, स्टेशन रोड, चांदनी मार्केट, मौर्यालोक कॉम्प्लेक्स, हरिनिवास, न्यू मार्केट, एसपी वर्मा रोड इलाके में हर दिन 100 से अधिक लोग दुकानों में जॉब खोजने को घूमते नजर आ रहे हैं.
इसे लेकर कभी-कभी दुकानदार जॉब की तलाश में आये व्यक्ति के प्रति आक्रोशित हो जा रहे हैं. जॉब की तलाश में घूमने वाले लोगों की आयु 20-45 साल की होती है. ये लोग पहले के वतेन से आधा पर भी नौकरी करने को तैयार हैं. फिर भी ऐसे लोगों को जॉब नहीं मिल पा रहा है.
खेतान मार्केट के एक शोरूम के मालिक ने बताया कि पिछले एक माह से हर दिन तीन-चार लोग काम की तलाश में आते है. लेकिन, मैं उन्हें मदद नहीं कर पा रहा हूं. क्योंकि, खुद की स्थिति खराब हैं. इनमें अधिकांश वैसे लोग होते हैं, जो पहले दूसरे जगह काम करते थे. लेकिन, कोरोना काल में काम बंद हो जाने से उन्हें जॉब से निकाल दिया गया है. इसमें कुछ फ्रेश भी होते हैं.
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जीत इलेक्ट्रानिक्स के आरएस जीत ने बताया कि लोगों का दर्द देख बहुत दुख होता है. जॉब की तलाश में घूम रहे लोगों के चहरे पर परेशानी साफ झलकती है. अधिकांश लोग फतुहा, मोकामा, बाढ़, दानापुर, मसौढ़ी, जहानाबाद के होते हैं. इनमें से अधिकांश लोग दूसरे शहर की नौकरी छोड़ कर आये हैं. ज्याद जरूरतमंद व्यक्ति से बायोडाटा लेकर, जिन लोगों को जरूरत होती है. उसके पास भेजने का प्रयास करते हैं.
न्यू मार्केट स्थित पादुकालय के प्रमुख सुमंत सिकदर ने बताया कि ऐसा कोई दिन नहीं जब दो-चार लोग काम पर रखने का अनुरोध करते हैं. लेकिन, चाह कर भी कुछ सहयोग करने की स्थिति में नहीं है. दुकान का खर्चा निकाल पाना मुश्किल हो रहा है. सहानुभूति पूर्वक बात कर हाथ जोड़ लेते हैं. जॉब मांगने आने वाले अधिकांश कोरोना काल के शिकार हैं.
अनिसाबाद स्थित एसबीएच इंटरप्राइजेज के प्रमुख संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले एक माह से हर दिन दो-तीन लोग दुकान पर आकर जॉब पर रखने का आग्रह करते है. इसके अलावा चार-पांच कॉल भी आते हैं. पहले से जो लोग काम कर रहे हैं. उन्हें समय पर वेतन देना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में नये लोगों को जॉब देना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी मन झल्ला सा जाता है. लेकिन, मन को काबू में करते हुए उन्हें समझाने का प्रयास करता हूं.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya