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मोदी कैबिनेट विस्तार से पहले लोजपा में टूट, जदयू की भूमिका और चिराग की चिंता!, जानिए बंगला में दरार की कहानी…

रामविलास पासवान के निधन ने लोजपा की जड़ को हिला दिया है. ये बात अब खुलकर तब सामने आ गई जब चिराग पासवान के चाचा और हाजीपुर के सांसद पशुपति पारस ने लोजपा के चार सांसदों के साथ मिलकर अलग मोर्चा खोल दिया. बिहार विधानसभा में एनडीए से अलग होकर लड़ी लोजपा अब लड़खड़ा चुकी है. दूसरे दलों से नहीं अब खुद ही पार्टी में दोफाड़ हो चुका है. जिसके बाद चिराग के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो चुकी है. पार्टी के पांच सांसद चिराग से अलग हो चुके हैं और सबों ने पशुपति पारस को अपना नेता मान लिया है. जिसकी विधिवत घोषणा आज पशुपति पारस करेंगे. आइये जानते हैं आखिर क्या हो सकते हैं इसके मायने....

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2021 8:07 AM

रामविलास पासवान के निधन ने लोजपा की जड़ को हिला दिया है. ये बात अब खुलकर तब सामने आ गई जब चिराग पासवान के चाचा और हाजीपुर के सांसद पशुपति पारस ने लोजपा के चार सांसदों के साथ मिलकर अलग मोर्चा खोल दिया. बिहार विधानसभा में एनडीए से अलग होकर लड़ी लोजपा अब लड़खड़ा चुकी है. दूसरे दलों से नहीं अब खुद ही पार्टी में दोफाड़ हो चुका है. जिसके बाद चिराग के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो चुकी है. पार्टी के पांच सांसद चिराग से अलग हो चुके हैं और सबों ने पशुपति पारस को अपना नेता मान लिया है. जिसकी विधिवत घोषणा आज पशुपति पारस करेंगे. आइये जानते हैं आखिर क्या हो सकते हैं इसके मायने….

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के समय क्या होगा टूट का असर

राजनीतिक गलियारे की सबसे बड़ी खबर अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार है और ये कयास लगाये जाने शुरू हो चुके हैं कि केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में किन चेहरों को जगह मिलेगी. बिहार में एनडीए के घटक दलों को भी अपनी भागिदारी की उम्मीद है. इस बीच लोजपा में बड़ी टूट की खबर सामने आ गई है जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा का मुद्दा अब दूसरी तरफ मुड़ चुका है. सहयोगी दल को मंत्रिमंडल में एक-एक सीट देने के फार्मूले के तहत लोजपा से भी किसी एक नेता को मंत्री बनाया जाएगा, ऐसा कयास लगाया जा रहा है. इस बीच अब चिराग की दावेदारी मुश्किल में घिर सकती है. देखना यह होगा कि क्या बीजेपी पशुपति पारस को मंत्रिमंडल में शामिल करती है या फिर चिराग को बिहार चुनाव में खुद को ‘मोदी का हनुमान’ बताते रहने का फायदा मिलेगा. या फिर जबतक लोजपा की सारी उलझनें खत्म नहीं हो जाती है तबतक इनमें से किसी चेहरे को अभी मोदी कैबिनेट में जगह नहीं दी जाती है.

जदयू के विरोध में चिराग, जदयू ने ही मारी सेंध 

बता दें कि लोजपा ने बिहार चुनाव के दौरान जदयू के विरोध को अपना चुनावी जरिया बनाया. चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर रहे. लेकिन पार्टी के विचार से अलग तब भी पशुपति पारस नीतीश कुमार की प्रशंसा करने से नहीं चूके थे. इस बीच अब जब पार्टी में दरार की बात सामने आई तो जदयू की भी इसमें बड़ी भूमिका होने की संभावना जताई जा रही है. पटना में दो दिन पहले जदयू सांसद ललन सिंह से पशुपति कुमार पारस की मुलाकात भी हुई थी. जदयू के एक और नेता काफी पहले से पशुपति पारस के संपर्क में थे.

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पहले भी आई बंगले में दरार 

गौरतलब है कि रामविलास पासवान का बंगले में पहले भी कई बार दरार आई लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह ढहने के कगार तक नहीं जाने दिया. सबसे बड़ी टूट 2005 में हुई थी जब लोजपा के 29 विधायक बिहार विधानसभा चुनाव जीतकर आए थे. बहुमत किसी दल के पास नहीं था लेकिन लेाजपा विधायकों ने रामाश्रय प्रसाद सिंह के नेतृत्व में जदयू का दामन थाम लिया था.

चिराग लेने लगे एकतरफा फैसला, दिल्ली पहुंचकर ऐसा बना प्लान 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी के कई सांसद चिराग पासवान के एकतरफा फैसले से नाखुश रहने लगे. रविवार सुबह सुरजभान सिंह और पशुपति पारस दिल्ली गए. शाम में सुरजभान के भाई व लोजपा सांसद चंदन सिंह को भी दिल्ली बुलाया गया. वहीं बांकी तीन सांसद पहले ही वहीं थे. जदयू के वरीय नेता व रामविलास के रिश्तेदार महेश्वर हजारी भी रविवार को दिल्ली में ही उपस्थित थे. पार्टी के पांच सांसदों ने अब नया खेमा खोल दिया है. लोकसभा अध्यक्ष को इसे लेकर पत्र भी सौंप दिया गया है.

देर रात मनाने का प्रयास चलता रहा

दूसरी तरफ पार्टी नेताओं ने बताया कि लोजपा में टूट की खबर आने के बाद दिल्ली स्थित चिराग पासवान के आवास पर देर रात तक बैठक हुई और असंतुष्टों को मनाने का प्रयास होता रहा. मालूम हो कि लोजपा केंद्र में एनडीए सरकार में शामिल है. वर्तमान में चिराग पासवान समेत इसके छह सांसद हैं.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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