लोकसभा चुनाव में करीब पांच महीना बचे हुए हैं, लेकिन अभी तक राज्य के प्रमुख राजनीतिक गठबंधनों के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर कोई रूपरेखा तय नहीं हुई है. एनडीए के घटक दल अपने हिसाब से सीटों पर दावेदारी पेश कर रहे हैं. एनडीए के भीतर सीटों की पेच को सुलझाना आसान नहीं दिख रहा. मुख्य पार्टी भाजपा कम- से- कम 30 सीटों पर खुद चुनाव लड़ना चाहती है.वहीं, बाकी सीटों को सहयोगी दल लोजपा के दाेनों गुट, उपेंद्र कुशवाहा और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी के बीच बांटा जा सकता है.
सबसे बड़ी समस्या चाचा-भतीजा की पार्टी रालोजपा और लोजपा (रा) को लेकर है. बीच-बीच में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोजद भी अपने स्तर पर दबाव बनाने का काम कर रही है.एनडीए में सीट बंटवारे की गेंद भाजपा के पाले में है. भाजपा के सूत्रों का कहना है जनवरी 2024 में राम मंदिर का कार्यक्रम पूरा होने के बाद सीट बंटवारे पर मंथन किया जायेगा.
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लोजपा अध्यक्ष रहे रामविलास पासवान की विरासत को लेकर चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच लंबे समय से चल रही राजनीतिक लड़ाई एनडीए के लिए परेशानी का सबब है. दोनों लोजपा के टिकट पर जीते. सभी छह-छह लोकसभा सीटों पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
चिराग हाजीपुर लोकसभा सीट के साथ अपना भावनात्मक लगाव दिखा रहे, तो पशुपति कुमार पारस हाजीपुर लोकसभा सीट काे अपनी सीट बता रहे हैं. दोनों अपने-अपने तरीके से चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं. लोजपा में फूट के बाद चिराग को छोड़कर बाकी के पांच सांसद पारस के साथ हो लिये.इसी आधार पर पारस सिटिंग-गेटिंग के सिद्धांत पर सीटों की मांग कर रहे हैं.इधर,पारस गुट के सांसदों की निष्ठा पर भी सवाल उठ रहे हैं.
उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में आने क बाद से राजनीति गतिविधियां तेज हो गयी हैं.पार्टी अपने लिए जदयू के सीटों पर नजर रख रही है. पिछले दिनों कुशवाहा की पार्टी रालोजद की लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर बैठक हुई. इसमें आठ लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी की नियुक्ति करने की बात छन कर आ रही है. इनमें झंझारपुर,सुपौल,मुंगेर,वाल्मीकिनगर,सीतामढ़ी, जहानाबाद, काराकाट और सीवान शामिल हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में यह सभी सीटें एनडीए के भीतर जदयू को दी गयी थीं. अभी यहां जदयू के सांसद हैं. इन आठ लोकसभा क्षेत्रों में कुशवाहा की पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले बड़ी रैली और गहन जनसंपर्क की योजना बनायी है.2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवहा एनडीए में थे और काराकाट से विजयी हुए थे. उनकी ही पार्टी के रामकुमार वर्मा ने सीतामढ़ी सीट से जीत दर्ज की थी, जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए से बाहर होकर चुनाव लड़े और चुनाव हार गये.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होने के बाद एनडीए का दामन थाम लिया है. उनकी पार्टी भी एनडीए से गया और जमुई समेत चार लोकसभा सीटों की मांग कर रही है.मांझी अभी एनडीए के पक्ष में लगातार बोल भी रहे हैं,जबकि जमुई की सीट से एनडीए की पुरानी सहयोगी पार्टी लोजपा रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान सांसद हैं.