बिहार में लोक सेवाओं की सुविधा ऑनलाइन होने के बाद भी बिचौलिये सक्रिय, कर्मियों की मदद से ऐसे करते हैं ठगी
लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम 2011 में लागू होने के बाद अब जनोपयोगी सेवाएं ऑनलाइन मिलने लगी है लेकिन फिर भी बिचौलियों का खेल अभी खत्म नहीं हुआ है.
लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम 2011 में लागू होने के बाद सभी जनोपयोगी सेवाएं ऑनलाइन माध्यम से मिलने लगी हैं. परंतु इनमें बिचौलियों का हस्तक्षेप खासकर ग्रामीण इलाकों में अभी भी समाप्त नहीं हो रहा है. इन सेवाओं को प्राप्त करने के लिए प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर बनाये गये रिसोर्स केंद्रों पर ये मौजूद रहते हैं, जो भी व्यक्ति यहां आवेदन को आते हैं, उन्हें ऑनलाइन फॉर्म भरवाने और जल्द सेवा दिलवाने के नाम पर कुछ रुपये की ठगी कर लेते हैं. इसमें खिड़की पर बैठे कर्मियों की भी मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता है.
बिचौलियों पर नकेल कसने के लिए कार्रवाई
बिचौलियों पर नकेल कसने के लिए विभाग के स्तर से निरंतर औचक निरीक्षण भी किया जाता है. विभिन्न कार्यालयों का अब तक 85 हजार 855 औचक निरीक्षण कराया जा चुका है, जिनमें 341 बिचौलिए गिरफ्तार हो चुके हैं. इन सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है. इनमें सबसे ज्यादा बिचौलिए मुंगेर, बक्सर, समस्तीपुर और मधेपुरा जिलों में औचक निरीक्षण के दौरान पकड़े गये हैं.
आरटीएस के आवेदनों के निबटारे की दर 99.60 प्रतिशत
इसके अलावा समय पर लोगों को लोक सेवा नहीं देने वाले दो हजार 113 पदाधिकारी या कर्मियों को भी दंडित किया जा चुका है. दोषी कर्मियों से दो करोड़ 53 लाख 67 हजार 415 रुपये की वसूली जुर्माने के तौर पर की जा चुकी है. समय पर सूचना नहीं देने से संबंधित अब तक 18 लाख आठ 17 अपील दायर किये गये, जिनमें 17 लाख 76 हजार 884 अपील का निष्पादन किया जा चुका है. शेष पर सुनवाई चल रही है.
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आवेदनों का निष्पादन
लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत अब तक इसमें शामिल 75 से ज्यादा सेवाओं के लिए 28 करोड़ 96 लाख 78 हजार 173 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें 28 करोड़ 83 लाख 95 हजार 636 आवेदनों का निष्पादन हो चुका है. यानी निष्पादन की दर 99.60 प्रतिशत है. तत्काल सेवा के तहत तीन करोड़ 54 लाख 32 हजार 428 आवेदन आये हैं, जिनमें तीन करोड़ 54 लाख 27 हजार 31 आवेदनों का निष्पादन हो चुका है.
सबसे ज्यादा आवेदन आय, जाति प्रमाणपत्र के लिए आये
सबसे ज्यादा आवेदन आय, जाति समेत अन्य प्रमाणपत्रों को बनवाने से जुड़े आये. इनकी संख्या 20 करोड़ 95 लाख 70 हजार 713 है, जिनमें 99.70 प्रतिशत का निष्पादन हो चुका है. इसके बाद जमीन के दाखिल-खारिज से जुड़े एक करोड़ एक लाख 93 हजार 883 आवेदन आये, इसमें 100 फीसदी निष्पादन हो गया. भू-स्वामित्व प्रमाण-पत्र के 55 लाख छह हजार 97 आवेदन आये (99.9 प्रतिशत आये), सामाजिक सुरक्षा पेंशन के एक करोड़ 33 लाख 22 हजार 567 आवेदन में 98.30 प्रतिशत, राशन कार्ड के एक करोड़ चार लाख 83 हजार 606 आवेदन में 97.60 प्रतिशत और आचरण प्रमाण-पत्र से जुड़े 69 लाख 16 हजार 291 आवेदन में 98 प्रतिशत का निबटारा किया जा चुका है. निबंधन सेवाओं से जुड़े दो करोड़ 58 लाख 27 हजार 39 में 99.90 प्रतिशत का निबटारा हो चुका है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan