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रथ पर सवार होकर निकले भगवान जगन्नाथ

बुद्धमार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर, गौड़ीय मठ (मीठापुर) व मच्छहरट्टा के गोपीनाथ गली स्थित 129 वर्ष प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर से महाप्रभु जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली गयी.

संवाददाता, पटना

रविवार को राजधानी के बुद्धमार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर, गौड़ीय मठ (मीठापुर) व मच्छहरट्टा के गोपीनाथ गली स्थित 129 वर्ष प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर से महाप्रभु जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली गयी. इस दौरान रथ की पूजा-अर्चना की गयी. रथ को खींचने के लिए भक्तों में होड़ लगी रही. श्रद्धालु भगवान के दर्शन को लालायित दिखे. हर कोई भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेना चाह रहा था. इस्कॉन मंदिर से निकली रथयात्रा में भक्तों की जुटान दोपहर 12 बजे से ही शुरू हो गयी थी. दो बजते-बजते हजारों भक्तों से बुद्ध मार्ग पर यातायात ठहर सा गया था.

बुद्ध मार्ग से लेकर बेली रोड तक दोपहर एक बजे से शाम छह बजे तक जय जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की जय और हरे कृष्णा- हरे कृष्णा, हरे राम, राम-राम हरे-हरे राम के उद्घोष से गूंजता रहा. इस अवसर पर श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के रथ को करीब सौ -सौ मीटर लंबी पीले रंग की दो रस्सियों (प्लास्टिक) से लगभग आठ किलोमीटर तक खींचते रहे. रथ को खींचने के लिए भक्तों में होड़ लगी रही. रथयात्रा को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह और उमंग रहा. बुद्ध मार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर की ओर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों की जुटान दोपहर 12 बजे से ही शुरू हो गयी थी. दो बजते-बजते हजारों भक्तों से बुद्ध मार्ग पर यातायात ठहर सा गया.

डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने दीप जला किया शुभारंभ

रथ यात्रा का शुभारंभ दोपहर तीन बजे महाआरती के साथ हजारों भक्तों की मौजूदगी में इस्कॉन मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन एलएन पोद्दर, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर और झाड़ू लगा कर की. मौके पर पूर्व मंत्री श्याम रजक, अमित अधिकारी, सुनील कुमार सिन्हा आदि मौजूद थे. इस्कॉन पटना के अध्यक्ष कृष्ण कृपा दास ने बताया कि झाड़ू लगाकर रथ को शुभारंभ करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इस परंपरा के निर्वहन के साथ यह भी महत्वपूर्ण हे कि हम बाहर से साथ अपने अंर्तमन को साफ करें तभी उसमें परमात्मा का वास हो सकता है.

40 फुट ऊंचे हाइड्रोलिक रथ पर विराजमान हुए भगवान जगन्नाथ

विभिन्न फूलों से सुसज्जित 40 फुट ऊंचे हाइड्रोलिक रथ पर भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिए बहन सुभद्रा और भाई बलराम संग निकले. भक्तों ने झाड़ू से रथ का मार्ग साफ किया. इसके बाद श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ का रथ खींचा. रथयात्रा मार्ग में विभिन्न स्थानों पर ड्रोन से पुष्प वर्षा के साथ आरती करके भगवान का स्वागत किया गया. एक अनुमान के अनुसार 1.50 लाख से अधिक भक्त रथ यात्रा में शामिल हुए.

एक भी विदेशी नहीं हुए शामिल

यात्रा में रथ के साथ पंजाब बैंड शामिल था. इस बार रथयात्रा में एक भी विदेशी श्रद्धालु शामिल नहीं हुए और न नहीं रसियन कीर्तन मंडली. इसे लेकर लोगों में चर्चा का विषय बना रहा. लोगों ने बताया कि पहली बार रथ यात्रा में एक भी विदेशी भक्त नहीं दिखा.

इन मार्गों से होकर गुजरी रथ यात्रा

रथयात्रा इस्कॉन मंदिर होते हुए बुद्ध मार्ग से तारा मंडल, विद्युत भवन, पटना हाइकोर्ट, बिहार म्यूजियम, पटना वीमेंस कॉलेज से होते हुए इनकम टैक्स गोलंबर, कोतवाली, डाकबंगला चौराहा, मौर्यालोक से फिर कोतवाली होते हुए इस्कॉन मंदिर बुद्ध मार्ग तक पहुंची. दोपहर करीब तीन बजे आरती पूजन के बाद रथ को लोगों ने खींचना शुरू कर दिया. भक्ति भाव में विभोर भक्त भजन पर नृत्य के जरिये अपनी उत्सुकता और भक्ति को प्रदर्शित करते हुए यात्रा में शामिल हुए.

गौड़ीय मठ मंदिर से जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ निकली रथ यात्रा

मीठापुर स्थित श्री गौड़ीय मठ मंदिर में संध्या सात बजे रथ यात्रा निकलते ही हरि बोल जय जगन्नाथ, जय बलदेव, जय सुभद्रा की पवित्र ध्वनि से मंदिर परिसर गूंजने लगा. संपूर्ण मंदिर को फूल बंगला बनाकर सजाया गया था. रथ फूलों से सजा था. इस मौके पर करीब 400 श्रद्धालुओं नें रथ की रस्सी खिंची. जगन्नाथ की आरती कर राजभोग लगाया गया. भक्तों ने श्री क्षेत्रधाम की महिमा का कीर्तन करते हुए रथ खींचा. यात्रा पूर्ण होने के बाद सभी भक्तों ने हरि बोल करते हुए नृत्य किया. सभी भक्तों पर पुष्प बरसाये गये. चाकलेट लुटाये गये. अंत में सभी को बूंदी प्रसाद का वितरण किया गया. मंदिर के मुख्य पुजारी भक्ति रसमय रस सार महाराज ने भक्तों को रथ यात्रा की रहस्य और महिमा की कथा सुनायी. उन्होंने बताया कि रथ यात्रा श्री कृष्ण का ब्रजवासियों से पुनर्मिलन की लीला है. चैतन्य महाप्रभु ने रथ यात्रा में भक्ति डालकर मह्त्वपूर्ण बना दिया. महाप्रभु से पहले रथ हाथियों और राजा के सेवकों द्वारा खींचा जाता था.

भीखमदास ठाकुरबाड़ी से भी निकली रथ यात्रा

भीखमदास ठाकुरबाड़ी की ओर से भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी. मंदिर परिसर से रथयात्रा शाम पांच बजे निकली. रथ यात्रा का संचालन ठाकुरवाड़ी के महंथ जीवन दास ने किया. रथ यात्रा हथुआ मार्केट, मछुआ टोली, दिनकर चौराहा होते हुए नागा बाबा ठाकुरबाड़ी तक गयी. वहां भगवान की आरती हुई. फिर वापसी में रथ कंदमकुआं स्थित (चूड़ी मार्केट) शिवालय होते हुए रथ भीखमदास ठाकुरबाड़ी पहुंची. इस यात्रा में बाकरगंज, दरियापुर, मछुआटोली, राजेंद्रनगर, कदमकुआं के साथ अन्य इलाके के लोग शामिल हुए.

पटना सिटी में मौसीबाड़ा को निकले भगवान जगन्नाथ

आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा रविवार को मच्छहरट्टा के गोपीनाथ गली स्थित 129 वर्ष प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा निकली. रथयात्रा से पहले आचार्य पंडित रामानंद पांडे ने भगवान की वैदिक रीति रिवाज से पूजा-अर्चना की. इसके बाद रथ पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की मूर्ति को विराजमान कर यात्रा आरंभ हुई. जो अशोक राजपथ के मुख्य मार्ग का भ्रमण करते हुए लल्लू बाबू के कुचां स्थित मंदिर पहुंचा. आचार्य पंडित रामानंद पांडे के अनुसार मौसीबाड़ी जाने को निकले भगवान यहां 13 दिनों तक प्रवास करेंगे. गुरु पूर्णिमा के दिन 21 जुलाई को रथयात्रा मौसीबाड़ी से वापस लौटेगी. जल्ला स्थित हनुमान मंदिर से भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी. इसके अलावा मिरचाई गली स्थित मंदिर पूजा अर्चना हुई.

प्रवास में झांकियों में दर्शन देंगे भगवान

आचार्य ने बताया कि भगवान मंदिर में 13 दिनों तक प्रवास करने के दौरान 15 जुलाई नवमी से चतरुथदर्शी तक हर दिन अलग-अलग झांकी, शृंगार व दर्शन देगे. पहले दिन भगवान की गरूड़ की सवारी का दर्शन होगा. इसके साथ ही गोवर्धन पर्वत, श्री लड्डू गोपाल, राजगद्दी, कालिया नाग का शृंगार होगा.

109 वर्षों से निकल रही रथयात्रा

गोपीनाथ की गली स्थित 129 वर्ष पुरानी जगन्नाथ मंदिर के पुजारी आचार्य पंडित रामानंद पांडे बताया कि लगभग 109 वर्षों से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है. 15 फीट ऊंचाई वाले 16 चक्का लगे रथ को भक्त खींचते हुए ले जाते हैं. मार्ग में रथ खींचने व भक्तों की जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया. आचार्य के अनुसार मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ माता लक्ष्मी विराजमान है. रथयात्रा में भगवान की प्रतिमा रखी जाती है.

214 वर्ष प्राचीन मंदिर में अचल हैं भगवान जगन्नाथ

दीवान मुहल्ला नौजर घाट स्थित 214 वर्ष प्राचीन जगन्नाथ बाड़ी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की अचल प्रतिमा विराजमान हैं. मंदिर के पुजारी आचार्य विष्णुकांत झा ने बताया कि प्रतीकात्मक रथयात्रा के बाद भगवान की पूजा-अर्चना व प्रसाद का वितरण हुआ. रथ वापसी के दिन गुरुपूर्णिमा 21 जुलाई को मंदिर में अचल उत्सव पर धार्मिक पर अनुष्ठान होगा. महाराजा कुंवर रूप नारायण सिंह ट्रस्ट के कमल नयन श्रीवास्तव, संजय कुमार सिन्हा, अमरनाथ व नवीन कुमार सिन्हा समेत अन्य शामिल हुए.

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