Republic Day 2025: आज देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस अवसर पर हम आपको बिहार के उस राज्यपाल की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने पहली बार राजधानी पटना में गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराया था. माधव श्रीहरि अणे 12 जनवरी 1948 से 14 जून 1952 तक बिहार के राज्यपाल रहे. महामहिम अणे एक नेता और समाजसेवी थे. इन्होंने भारतीय राजनीति और समाज सेवा में अहम योगदान दिया था. श्रीहरि अणे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सदस्य रहे थे और स्वतंत्रता संग्राम के समय में अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को खूब जागरूक किया था.
![Republic Day 2025: माधव श्रीहरि अणे ने बिहार में पहली बार गणतंत्र दिवस पर फहराया था झंडा, स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका 1 2021112393](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2025/01/2021112393.jpg)
माधव श्रीहरि अणे ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी किया सराहनीय काम
माधव श्रीहरि अणे का जन्म 1892 में हुआ था. वे महात्मा गांधी के अनुयायी थे. उनके संदेशों को अणे ने लोगों तक पहुंचाया. उन्होंने महाराष्ट्र और कर्नाटक में समाज की भलाई के लिए काम किया और आंदोलनों में सक्रिय भागीदार रहे. उनकी सबसे बड़ी विशेषता समाज में शोषण और असमानता के खिलाफ आवाज उठाने की थी. माधव श्रीहरि अणे ने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई. वो काफी प्रगतिशील सोच वाले व्यक्ति थे. उनका बहुत सारा समय शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक न्याय के मुद्दों व्यतीत होता था.
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
माधव श्रीहरि अणे का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेताओं में गिना जाता है.अणे गांधी के अनुयायी थे और उनके विचारों को फैलाने के लिए उन्होंने कई आंदोलनों में भाग लिया. माधव श्रीहरि अणे साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ थे और उनका मानना था कि देश में शांति और समानता का अधिकार हर नागरिक को मिलना चाहिए.
माधव श्रीहरि अणे 1920 और 1930 के दशक में काफी लोकप्रिय हो चुके थे. उन्होंने असहमति आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. इस दौरान वो कई बार जेल भी गए और यातनाएं झेली.
1970 के दशक में हुआ निधन
1970 के दशक में माधव श्रीहरि अणे का निधन हुआ. स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने जो भूमिका निभाई थी वो आज भी लोगों के जेहन में ताजा है. माधव श्रीहरि अणे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने भारतीय समाज को समर्पण, समानता, शिक्षा और जागरूकता के महत्व को आम लोगों को समझाया. अणे ने अपने जीवनकाल में जो सामाजिक और राजनीतिक कार्य किया वो आज भी प्रेरणास्त्रोत है.