बिहार निवासी IPS संजीव सिंह को सम्मान, दिवंंगत अधिकारी की पत्नी को सर्विस रिवॉल्वर सौंपेंगे सीएम शिवराज
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चर्चित पुलिस अधिकारी रहे संजीव कुमार सिंह की पत्नी ज्योति को उनके पति का सर्विस रिवॉल्वर गिफ्ट करेंगे.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह शुक्रवार को भोपाल में एक समारोह में चर्चित पुलिस अधिकारी रहे संजीव कुमार सिंह की पत्नी ज्योति को उनके पति का सर्विस रिवॉल्वर भेंट करेंगे. संजीव कुमार सिंह 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे. मध्य प्रदेश कैडर के अधिकारी संजीव सिंह देश की प्रमुख जांच शाखा, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के साथ भी लंबे समय तक जुड़े थे. वो बीएसएफ में भी रहे. पिछले साल कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर उनका निधन हो गया था. हालांकि उन्हें जिस घटना के लिए सम्मानित करने का फैसला लिया गया वो मध्य प्रदेश के एक चर्चित उद्योगपति के अपहरण केस को साल्व करने का है.
संजीव कुमार सिंह को 2004 की एक घटना के लिए सम्मानित करने का फैसला लिया गया. संजीव कुमार सिंह उस समय मध्य प्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) में पुलिस उप महानिरीक्षक थे. उसी समय सतना (मध्य प्रदेश) के प्रमुख उद्योगपति तीरथ प्रसाद गुप्ता को उचेहरा पुलिस स्टेशन क्षेत्र से अगवा कर लिया गया था. अपहरणकर्ताओं ने 5 करोड़ रुपये फिरौती की मांग कर दी थी.
अपहरण की इस घटना ने पूरे प्रदेश के उद्योगपतियों के बीच दशहत पैदा कर दिया था. सुनियोजित योजना के तहत अपहरणकर्ताओं ने इस अपराध को अंजाम दिया था. पुलिस के लिए ये मामला बेहद उलझ गया था. क्योंकि अपराधी अलग-अलग राज्यों से फोन करके जांच एजेंसियों को उनके स्थान के बारे में भ्रमित करते थे. अपराधी नेपाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से फोन करते. पैसे लेनदेन की बात दुबई व अन्य देशों में हवाला के जरिये हो रही थी.
अपराधी इतने शातिर थे कि पुलिस के लिए इस केस को सॉल्व करना बेहद पेंचिदा बन गया था. मामला स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को सौंपा गया.संजीव कुमार सिंह ने इस मामले में एंट्री मारी. संजीव कुमार सिंह उस समय मध्य प्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) में पुलिस उप महानिरीक्षक थे. उन्हें कुछ सूचनाएं मिली जिसपर वो काम करने लगे. अनिल सिंह उर्फ कंपनी सिंह और विक्रम सिंह उर्फ मंगल सिंह की भूमिका उन्होंने इस अपहरण कांड में पाई.
अनिल सिंह का लोकेशन पटना ट्रेस किया गया. अब संजीव कुमार सिंह के लिए ये केस थोड़ा और आसान बनने वाला था क्योंकि वो खुद बिहार के ही रहने वाले थे. संजीव कुमार सिंह समस्तीपुर जिले के निवासी थे. उन्हें 29 फरवरी 2004 को एक महत्वपूर्ण सूचना मिली और अनिल सिंह के पटना में सटीक
लोकेशन पर आने की जानकारी उन्होंने जुटा ली.