12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार के चुनावी समर में दहाड़ेंगे नीतीश व लालू, पर नहीं सुनायी देंगे इन धाकड़ वक्ताओं के जादुई भाषण

बिहार समाजवादियों का गढ़ रहा है. पिछले 40 वर्षों से देश के समाजवदियों में बिहार के नेता पहली कतार में रहे हैं. उनके भाषण सुनने के लिए लाखों, करोड़ों लोग इंतजार करते हैं. इस बार के लोग सभा चुनाव में नीतीश कुमार और लालू यादव के भाषण तो लोगों को सुनने को मिलेंगे, लेकिन कुछ ऐसे नेता भी है जिनकी जादुई आवाज इस बार सुनने को नहीं मिलेगी.

पटना. इस बार के लोकसभा चुनाव में मंडल आयोग की राजनीति से देश को प्रभावित करने वाले धुर समाजवादी नेताओं मसलन दिवंगत राम विलास पासवान और शरद यादव की जादुई आवाज नहीं सुनायी देगी. वहीं राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर ‘मनरेगा मैन’ कहे जाने वाले दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की ठेठ गंवई जुबान में कार्यकर्ताओं में जोश फूंक देने वाला भाषण भी लोग नहीं सुन पायेंगे. जहां तक धूर समाजवादी लालू प्रसाद का सवाल है, बीमारी ने उनकी आवाज को सीमित कर दिया है.

लालू यादव भी नहीं रहेंगे बहुत सक्रिय

कुल मिलाकर यह सभी वह नेता हैं, जिसने 90 की दशक में समाजवादी राजनीति को नयी जुबान दी और पहचान भी. इन नेताओं के जुमले अब किसी दूसरे की जुबान से ही सुनने को मिलेंगे. हालांकि यह संभव है कि लालू प्रसाद इस बार भी एकआध बार फिर सियासी मंच साझा करें. ऐसे में उनका वह अंदाज दखने को मिल जाए, जब वह सियासी मंच पर ‘लागललागल झुलनिया के धाका, बलम कलकात्ता चल गइले ‘ जैसे लोक रंग वाले गाने गा कर मतदाताओं को हुजूम को जोशीले ज्वार में तब्दील कर विरोधियों के खेमे में खलबली मचा दे.

रामविलास अक्सर ये बातें करते थे…

दिवंगत रामविलास पासवान के भाषण में भी कुछ ऐसी बातें होती थीं, जिन्हें वह लगभग सभी सभाओं में कहा करते थे. ”हम इस घर में दिया जलाने चले हैं, जहां सदियों से अंधेरा था. ”उस बाग का माली अच्छा होता है, जिसमें सभी तरह के फूल खिले”. बात साफ है कि ऐसे जमीनी नेताओं की आवाज से इस बार का लोकसभा चुनावों का मंच सूना -सूना नजर आयेगा.

Also Read: बिहार के पटना और मधुबनी में सीमेंट प्लांट, गोपालगंज में लगेगा इथेनॉल फैक्ट्री, जानें होगा कितने का निवेश

अभी भी निरंतर और दमदार हैं नीतीश कुमार

इकलौते नीतीश कुमार हैं, जिनकी आवाज में मतदाताओं को बांधने वाला जादू है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषणों में उनके अभी तक के काम और आगे के रचनात्मक कार्यों की झलक मिलती है. योजनाओं की गहन जानकारी और उनके सफल होने तक की कहानी जब सुनाते हैं, तो बिहार का मतदाता उनमें एक स्टेटमैन की छविदेखता है. जब वे बोलते हैं कि ‘आप तो जनबे करते हैं. हम तो हमेशा कुछ न कुछ करते ही रहते हैं.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें