महाकुंभ में भगदड़ मचने से कई लोगों की तबीयत बिगड़ी है. अपुष्ट जानकारी मौत की भी आ रही है. बुधवार को महाकुंभ का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण महास्नान होना था. इसे लेकर करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ प्रयागराज में देर शाम से ही उमड़ रही थी. रात 1 बजे के बाद नदी किनारे भगदड़ मच गयी और इस घटना में कई लोगों को नुकसान हुआ है. इधर, बिहार के सहरसा से प्रयागराज पहुंचे श्रद्धालुओं के एक ग्रुप ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया है कि अब प्रयागराज में क्या हालात हैं.
सहरसा के श्रद्धालुओं ने बताया…
सहरसा निवासी कुमार अमरज्योति जायसवाल अपनी पत्नी सोनी जायसवाल समेत 15 लोगों के साथ मौनी अमावस्या पर महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज में हैं. मंगलवार की देर रात को हुई भगदड़ के बारे में उन्होंने बताया कि वो पूरे ग्रुप के साथ यहां पहुंचे हैं. रात में ही सबको नदी किनारे जाना था. लेकिन अचानक ये खबर आयी कि वहां भगदड़ मच गया है. जिसके बाद हमलोगों ने अपने कार्यक्रम में बदलाव किया. अब यह तय करना था कि आगे क्या करना है. क्योंकि हालात को देखकर ही कुछ तय करना उचित था. ग्रुप में कुछ लोगों को ऐसा भी लगा कि शायद अब वापस लौटना चाहिए.
नहीं टूटी उम्मीद, घाटों की ओर लौटे श्रद्धालु
अमरज्योति जायसवाल ने कहा कि अखाड़ों के द्वारा शाही स्नान पर रोक लगाए जाने के बाद और मुख्यमंत्री समेत प्रशासन के द्वारा इस संदेश को प्रसारित करने पर कि जो जहां हैं वो वहीं से करीब घाट पर डुबकी लगाएं.. श्रद्धालुओं की उम्मीद जगी. जिसके बाद हम लोगों ने तय किया कि घाट पर जाएंगे और डुबकी लगाया जाएगा. संत समाज को उन्होंने धन्यवाद दिया.
भगदड़ को लेकर क्या है चर्चा…
अमरज्योति जायसवाल ने बताया कि जब घाट किनारे पहुंचे तो बीते रात के भगदड़ को लेकर चर्चा थी कि महास्नान के लिए गंगा घाटों पर हुजूम जमा हो रहा था. जबकि स्नान करके लौटने वाले कम दिख रहे थे. यानी भीड़ अंदर बढ़ ही रहा था और वापस होने वालों की रफ्तार धीमी थी. इस बीच अखाड़ों के मंडलेश्वरों के शाही स्नान के लिए विशेष इंतजाम थे और रास्ता वन वे था. बैरिकेडिंग की गयी थी. लोग संगम तट पर जाने की होड़ में थे. जिसके कारण ये स्थिति बनी.
बुधवार की सुबह स्नान के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु…
अमरज्योति जायसवाल ने बताया कि जब बुधवार सुबह हम वहां पहुंचे तो अब स्थिति सामान्य दिखी. लोग आराम से नदी तट पर जा रहे हैं और स्नान करके वापस लौट रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमलोग अभी नदी के तट पर ही हैं और स्नान करके वापस लौटेंगे.