जब कुंभ में बेकाबू हुआ था हाथी, प्रयागराज में 500 लोगों की मौत के बाद लगे थे ये प्रतिबंध

Mahakumbh Stampede: 1954 का कुंभ मेला भारत की जनता के उत्साह और श्रद्धा का एक अद्भुत उदाहरण था. इस मेले में लगभग 12 करोड़ लोग शामिल हुए, जो उस समय के लिए एक बड़ी संख्या थी. इसने भारत को वैश्विक मंच पर भी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित किया.

By Ashish Jha | January 29, 2025 8:18 AM

Mahakumbh Stampede: पटना. भारत में कुंभ मेले की परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन आज़ाद भारत में वो पहला कुंभ मेला था. 1954 में प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में आयोजित कुंभ मेले का संचालन सरकार ने पूरी तरह से अपने नियंत्रण में किया था. यह आयोजन भारतीय इतिहास में पहली बार था जब इतने बड़े स्तर पर देश के नेता धार्मिक परंपराओं में भाग ले रहे थे. इस मेले में 3 फरवरी 1954 यानी मौनी अमावस्या के दिन कुछ ऐसा हुआ कि ये मेला हमेशा के लिए यादगार बन गया.

मौनी अमावास्या के दिन ही हुई थी भगदड़

मौनी अमावस्या के दिन नेहरू जी ने संगम में स्नान किया, जो इस मेले का मुख्य आकर्षण था. इस कुंभ मेले के दौरान एक दर्दनाक हादसा भी हुआ. मौनी अमावस्या के स्नान के समय, एक हाथी नियंत्रण से बाहर हो गया और भगदड़ मच गई. इस दुर्घटना में करीब 500 लोग मारे गए. भगदड़ के बाद भीड़ को नियंत्रित करने और सूचना देने के लिए लाउडस्पीकर्स का इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा, रात के समय मेले में रोशनी के लिए 1000 से अधिक स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई थीं. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इसके बाद, कुंभ मेले में हाथियों के उपयोग पर हमेशा के लिए रोक लगा दी गई.

नेहरू को लेकर अलग-अलग दावे

कई पत्रकारों और रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि नेहरू ने उसी दिन वहां का दौरा किया था और उनके वीआईपी मूमेंट की वजह से भीड़ को रोक लिया गया था. जब भीड़ काफी ज्यादा बढ़ गई तो भगदड़ मच गई और कई लोगों की जान चली गई. हालांकि, बीबीसी समेत कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि नेहरू उस दिन कुंभ मेले में नहीं गए थे, जिस दिन वहां भगदड़ मची थी. वो एक दिन पहले कुंभ मेले में गए थे, जहां उन्होंने कुंभ की तैयारियों का जायजा लिया था. राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद संगम क्षेत्र में ही थे और सुबह के वक़्त किले के बुर्ज पर बैठकर दशनामी संन्यासियों का जुलूस देख रहे थे.

वीआईपी एंट्री पर पाबंदी

हाथी की घटना और भीड़ की असामान्य स्थिति को देखते हुए, प्रधानमंत्री नेहरू ने एक बड़ा निर्णय लिया. उन्होंने कुंभ के मुख्य स्नान पर्वों के दौरान वीआईपी की एंट्री पर रोक लगाने का आदेश दिया. यह नियम आज भी कुंभ, अर्द्धकुंभ और महाकुंभ में लागू है, जिससे आम श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो. उस समय के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने कुंभ की तैयारियों को खुद मॉनिटर किया. संगम के किनारे श्रद्धालुओं के इलाज के लिए सात अस्थाई अस्पताल बनाए गए थे.

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