29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी का पटना से था गहरा नाता, चंपारण सत्याग्रह से लेकर बापू टावर तक की अनमोल यादें

Gandhi Jayanti: पटना के गांधी संग्रहालय में आज मोहन से महात्मा तक के सफर की प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा. साथ ही महात्मा गांधी की जयंती पर पटनावासियों को बापू टावर का सबसे बड़ा तोहफा मिलेगा.

Gandhi Jayanti: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बिहार से विशेष लगाव था. चंपारण आंदोलन से लेकर पटना के गांधी आश्रम तक बापू की कई यादें जुड़ी हैं. आज भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार हमें आगे बढ़ने और कुछ अच्छा करने की हमेशा प्रेरणा देते हैं. पटना में गांधी से जुड़ी कई स्मृतियां हैं. इन स्मृतियों में आज से ‘ बापू टावर’ का नाम भी जुड़ जायेगा. वर्ष 1917 में गांधी जी पटना पहली बार आये थे. वे कोलकाता से रेलगाड़ी के तृतीय श्रेणी में चल कर 10 अप्रैल 1917 की सुबह पटना पहुंचे थे. उस वक्त पटना जंक्शन को बांकीपुर जंक्शन के नाम से जाना जाता था. यह पहला मौका था, जब गांधी जी ने बिहार की धरती पर पहली बार कदम रखे थे. चंपारण सत्याग्रह, बिहार विद्यापीठ की स्थापना और आजादी की घोषणा के बाद बिहार में हुए दंगे आदि को लेकर बापू का लगातार पटना आना-जाना लगा रहा.

पं राजकुमार शुक्ल के साथ पहली बार पटना आये थे बापू

स्वतंत्रता सेनानी व चंपारण के रहने वाले पं राजकुमार शुक्ल की जिद पर ही महात्मा गांधी पहली बार उनके साथ 10 अप्रैल को 1917 को पटना आये थे. गांधी के पटना आने का समाचार मालूम होने के बाद उनके पुराने मित्र मौलाना मजहरूल हक साहब अपनी मोटरगाड़ी से उन्हें फ्रेजर रोड स्थित अपने घर ‘सिकंदर मंजिल’ ले गये. वहां कुछ देर रहने के बाद बापू दीघा घाट से स्टीमर के सहारे पहलेजा घाट पहुंचे. घाट से गाड़ी पकड़कर सोनपुर और फिर ट्रेन पकड़कर मुजफ्फरपुर गये.

चार जून 1917 को तार भेजकर पटना बुलाया गया

29 मई 1917 को बिहार के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड गेट ने पत्र लिखकर गांधी को चार जून 1917 को रांची में मिलने के लिए आमंत्रित किया था. गांधी का दल कोई मौका खोना नहीं चाहता था. फिर मदन मोहन मालवीय को एक तार भेजकर पटना बुलाया गया. गांधी ने कस्तूरबा और अपने कनिष्ठ पुत्र देवदास को रांची में मिलने के लिए बुलाया. गांधीजी, ब्रजकिशोर बाबू के साथ रवाना हुए और दो जून 1917 को दोपहर में पटना पहुंचे. बैठक करने के बाद गांधी उसी शाम रांची के लिए प्रस्थान कर गये.

तीन जून को दरभंगा हाउस में हुई थी बैठक

पटना में गांधीजी ने तीन जून 1917 को पीरबहोर के दरभंगा हाउस में एक गोपनीय बैठक में भाग लिया. बैठक में मौलाना मजहरूल हक, मदन मोहन मालवीय, हथुआ के महाराज बहादुर राय बहादुर कृष्ण शाही, मोहम्मद मुसा, युसूफ, राम गोपाल चौधरी, एक्सप्रेस के प्रबंधक कृष्णा प्रसाद, दरभंगा महाराज के आप्त सचिव बैठक थे. इसके बाद वे सात जून 1917 को रांची से पटना कस्तूरबा के साथ लौटे थे. फिर वे 1918 में दोबारा पटना आये थे.

एक दिसंबर 1920 को मजहरूल हक से मिले

गांधी जी तीसरी बार पटना एक दिसंबर 1920 को आये थे. इस दौरान वे सदाकत आश्रम में मौलाना मजहरूल हक के साथ आश्रम में रहे. फिर इसी साल दो दिसंबर को फुलवारीशरीफ गये और फिर तीन दिसंबर को आश्रम में रहे थे.

बापू ने रखी थी बिहार विद्यापीठ की आधारशिला

चौथी बार बापू छह फरवरी 1921 को पटना पहुंचे थे, जहां उन्होंने बिहार विद्यापीठ की आधारशिला रखी थी. बापू ने विद्यापीठ की स्थापना के लिए झरिया के गुजराती कारोबारी से 60 हजार रुपये चंदा लेकर पटना आये थे. सितंबर 1925 को कांग्रेस कमिटी की बैठक हुई थी, तब बापू सदाकत आश्रम में ठहरे थे. बिहार विद्यापीठ, सदाकत आश्रम और गांधी शिविर उनका प्रिय स्थान था. बिहार विद्यापीठ से महात्मा गांधी के अलावा देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद, स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर प्रसाद, मौलाना मजहरूल हक, जयप्रकाश नारायण समेत कई लोगों का गहरा संबंध रहा. मौलाना मजहरूल हक को विद्यापीठ के पहले कुलपति और डॉ राजेंद्र प्रसाद को पहला प्राचार्य बनाया गया था.

विद्यापीठ में चरखा चलाने की शिक्षा दी जाती थी

1957-1965 तक विद्यापीठ में खादी और चरखा चलाने की शिक्षा दी जाती थी. इसी विद्यापीठ परिसर में मार्च 1921 तक असहयोग आंदोलन से जुड़े लगभग पांच सौ से अधिक छात्रों ने नामांकन कराया था. 1921 में बापू ने अशोक राजपथ स्थित खुदाबख्श लाइब्रेरी का भी भ्रमण किया था. 20 मार्च 1934 को अस्पृश्यता निवारण आंदोलन के सिलसिले में महात्मा गांधी मंगल तालाब पटना सिटी में सार्वजनिक सभा को संबोधित करने पहुंचे थे.

गांधी के शांति प्रयासों का गवाह बना एएन सिन्हा

राजधानी के गांधी मैदान के उत्तर एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट परिसर में गांधी शिविर है. यह भवन आरंभ के दिनों में मुस्लिम कांग्रेस नेता सैयद महमूद का आवास हुआ करता था. यहां बापू करीब 40 दिन रहे. वे यहां रहकर डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ बिहार के बारे में जानकारी प्राप्त करते थे.पांच मार्च 1947 को इसी भवन में बापू निर्मल कुमार बोस, मनु गांधी समेत अन्य व्यक्तियों के साथ समय बिताये थे. जब 30 मार्च 1947 को लार्ड माउंटबेटन का बुलावा आया तो, गांधीजी यहीं से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे.

गांधी मैदान में बापू करते थे प्रार्थना  

अंग्रेजों का रेसकोर्स कहा जाने वाला आजादी के पूर्व बांकीपुर लॉन को आज लोग गांधी मैदान के नाम से जानते हैं. लगभग 60 एकड़ में फैला मैदान अंग्रेजी हुकूमत में काफी वर्षों तक रेसकोर्स था. 1942 में बापू यहां हर रोज प्रार्थना सभा करते थे. 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद बांकीपुर लॉन का नाम बदलकर गांधी मैदान रखा गया. जिस जगह पर बापू प्रार्थना करते थे, वहां आज उनकी कांस्य से बनी 40 फीट ऊंची प्रतिमा मौजूद है.

गांधी संग्रहालय में मौजूद है बापू की स्मृतियां  

गांधी मैदान के एक छोर पर बना गांधी संग्रहालय का कोना-कोना बापू की स्मृतियों में रचा-बसा है. यहां गांधीजी से जुड़ी स्मृतियां उनकी यादें ताजा कराती हैं. संग्रहालय परिसर में बापू की प्रतिमा जिसे 1975 में पद्मश्री कलाकार उपेंद्र महारथी ने बनाया था. गांधीजी के मरणोपरांत देश के नामचीन नेताओं द्वारा दी गयी श्रद्धांजलि यहां लगे बोर्ड पर प्रदर्शित है.

छुआछूत निवारण को ले बापू देवघर भी गये थे

बैद्यनाथ धाम देवघर में भी महात्मा गांधी से जुड़ी स्मृतियां है. छुआछूत निवारण को लेकर वे 25 अप्रैल 1934 को देवघर पहुंचे थे. उस दौरान हरिजनों को मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी. इस मामले को सुलझाने को लेकर जब गांधीजी वहां गये, तो पंडों ने उन पर हमला बोल दिया था. तब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गांधीजी को बचाते हुए बिजली कोठी पहुंचाया था.  

इसे भी पढ़ें: Gandhi Jayanti 2024: महात्मा गांधी की 155वीं जयंती पर जानें इतिहास, महत्व और पढ़ें कोट्स

मोहन से महात्मा के सफर की प्रदर्शनी का आज होगा उद्घाटन

गांधी संग्रहालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी आसीफ वसी ने बताया कि संग्रहालय में आज एक स्थायी प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा. प्रदर्शनी में महात्मा गांधी के मोहन से महात्मा बनने तक के सफर को फाइबर से बनी मूर्तियों के जरिये दर्शाया गया है. 15 पैनल में सन 1876-1930 तक की महात्मा गांधी की बचपन से लेकर बुढ़ापे तक तस्वीरे प्रदर्शित होंगी. इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे.

इस वीडियो को भी देखें: मोदी के ‘हनुमान’ क्यों हो गए नाराज

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें