रामचरितमानस पर राष्ट्रीय सेमिनार करेगा महावीर मन्दिर, पटना में आयोजित विद्वद् गोष्ठी में दूर हुईं भ्रांतियां

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास और रामचरितमानस पर महावीर मन्दिर की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होगा. इसकी तारीख और कार्यक्रम के रूपरेखा की घोषणा निकट भविष्य में की जायेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2023 9:47 PM

पटना. संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने संसार को सियाराममय जाना. जड़-चेतन का भी भेद नहीं समझा. रामचरितमानस में निषादराज, केवट, माता शबरी आदि को जो उच्च स्थान दिया है, वह अद्वितीय है. तुलसीदास एक विरक्त महात्मा थे. उनको किसी पक्ष से कोई मतलब नहीं था. ये बातें महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहीं. विद्यापति भवन में रविवार को रामचरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास पर महावीर मन्दिर की विद्वत गोष्ठी को संबोधित करते हुए आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि जब भरत जी निषादराज से मिलते हैं तो उन्हें भ्राता लक्ष्मण जैसा स्नेह करते हैं. गुरु वशिष्ठ भी निषादराज से उसी भाव से मिलते हैं.

रामचरितमानस के प्रसंग तुलसीदास को महात्मा के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं

किशोर कुणाल ने कहा कि शबरी के जूठे बेर श्रीराम को इतने प्रिय लगे कि नाते-रिश्तेदारी में भी वे इसका बखान किए फिरते थे. मनुष्य जाति से अलग पक्षियों में निम्न समझे जाने वाले गिद्ध जटायु का अंतिम संस्कार श्रीराम ने अपने परिजन की तरह किया. रामचरितमानस के ऐसे प्रसंग गोस्वामी तुलसीदास को समदर्शी महात्मा के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं.

रामचरितमानस पर राष्ट्रीय सेमिनार करेगा महावीर मन्दिर

कुणाल ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास और रामचरितमानस पर महावीर मन्दिर की ओर से राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होगा. इसकी तारीख और कार्यक्रम के रूपरेखा की घोषणा निकट भविष्य में की जायेगी. ज्ञात हो कि ”सामाजिक सद्भाव के प्रवर्तक गोस्वामी तुलसीदास” विषयक गोष्ठी में पक्ष-विपक्ष दोनों तरह के वक्ताओं को तथ्यपरक तर्क रखने के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन इस विषय पर विपक्ष में बोलने को कोई सामने नहीं आया.

रामचरितमानस के संबंध में बहकावे में नहीं आने की अपील

जनवादी लेखक बाबूलाल मधुकर ने सनातन धर्मावलम्बियों को रामचरितमानस और गोस्वामी तुलसीदास जी के संबंध में किसी भी तरह की भ्रान्ति और बहकावे में नहीं आने की जोरदार अपील की.सोनेलाल बैठा ने कहा कि रामचरितमानस में मानवता कूट-कूट कर भरी हुई है. इसको जानने-समझने के लिए अध्ययन और मनन-चिंतन की आवश्यकता है. रिटायर्ड प्रोफेसर डाॅ कृष्ण कुमार ने कहा कि रामचरितमानस जोड़नेवाला ग्रन्थ है.

रामचरितमानस में समाज सुधार की विधि है 

व्याकरणाचार्य डाॅ. सुदर्शन श्रीनिवास शांडिल्य ने कहा कि रामचरितमानस में ढोल गंवार….चौपाई में ताड़ने का अर्थ संवारना है. पूर्व आईएएस अधिकारी राधाकिशोर झा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सभी को भगवद् भाव से देखा है. अध्यक्षीय संबोधन में जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि रामचरितमानस में वे सारे विधि और निषेध हैं जिनसे समाज में सुधार और निखार आता है.

मंच संचालन सहयोग प्राणशंकर मजूमदार ने किया

इसके पूर्व विषय प्रवेश करते हुए महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा ने कहा कि किसी ग्रन्थ के शब्दों का सही अर्थ जानने के लिए उस पंक्ति के पहले और बाद की पंक्तियों को पढ़ना आवश्यक है. इनके अलावा डाॅ. जगनारायण चौरसिया, विजय श्री, दयाशंकर राय और डाॅ त्रिपुरारी पांडेय ने भी अपने -अपने विचार रखें. अंत में शंका समाधान सत्र में श्रोताओं की जिज्ञासाओं और प्रश्नों के उत्तर दिये गये. धन्यवाद ज्ञापन पूर्व विधि सचिव वासुदेव राम ने किया. जबकि मंच संचालन सहयोग प्राणशंकर मजूमदार ने किया.

Next Article

Exit mobile version