–बीआइटी पटना में मना राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस उत्सव–इसरो के वैज्ञानिकों ने छात्रों को दिये टिप्ससंवाददाता, पटनाबीआइटी पटना में सोमवार को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस उत्सव 2024 मनाया गया. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी से स्टूडेंट्स को अवगत कराना रहा. इसके साथ छात्र-छात्राओं को इस क्षेत्र में असीम संभावनाओं के बारे में बताते हुए कैरियर अपनाने हेतु प्रेरित करना था. कार्यक्रम के माध्यम से स्पेस क्षेत्र में कैरियर की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी गयी. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार के बच्चे आइएएस, आइपीएस बनने का सपना रखते हैं, लेकिन इस सोच से अलग भी कुछ सोच रखनी चाहिए. अभी समाज को एक अच्छे शिक्षक, अच्छे प्रोफेसर, अच्छे वैज्ञानिक, अच्छे इंजीनियर, अच्छे डॉक्टर की जरूरत है. बच्चे साइंस एंड टेक्नोलॉजी को समझे. साइंटिफिक सोच बच्चों में लानी होगी. बच्चों में आशाएं होनी चाहिए. सपने को सच करने की कोशिश करनी चाहिए. मैं आइएएस बन गया, लेकिन मेरी इच्छा थी वैज्ञानिक बनने की. एस्ट्रोनॉट्स बनने की. लेकिन नहीं हो सका, लेकिन मैं खुद से हवाइ जहाज उड़ा लेता हूं. कुछ सीख रहा हूं. आज भी मैं लगातार पढ़ाई करता रहता हूं. पढ़ाई का कोई अंत नहीं है. लर्निंग का प्रोसेस जीवन भर चलता रहता है. इसे कामय रखें. बिहार के बच्चे अन्य राज्यों की तुलना में मैथ में काफी आगे हैं. इसलिए अपनी क्षमता को पहचान कर आगे बढ़ें. एस्ट्रोनॉमी और स्पेस साइंस की ओर भी कैरियर बनाएं.
बिहार सबसे यंग स्टेट, स्पेश सेंटर आपका कर रहा इंतजार:
वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के निदेशक एम शंकरन ने कहा बिहार के हर बच्चों में प्रतिभा है. अपनी क्षमता को पहचान कर भारत को विश्व गुरु बनाने में अपना योगदान दें. पूरे देश भर में बिहार सबसे यंग स्टेट है. यहां की 60 से 65 प्रतिशत आबादी 25 वर्ष के आसपास है. आने वाले समय में स्पेस सेंटर आपके कंधों पर होगा. कार्यक्रम में शामिल होने वालों का उम्र 15 वर्ष लगभग है. इस कारण आप पढ़ाई पर ध्यान दें. स्पेस मिशन में आप शामिल हो सकते हैं. पढ़ाई परीक्षा पास करने के लिए नहीं पढ़े. पढ़ाई स्किल डेवलप करने के लिए पढ़ें. स्किल फुल लर्न जरूरी है. बिहार की 80 से 85 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. बिहार के करीब 11 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं. शहरों में रहने पर एडवांटेज मिलता है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने का अलग ही डिसएडवांटेज है. लेकिन इससे हताश होने की जरूरत नहीं है. आप शिक्षा से इसे डिसएडवांटेज को दूर कर सकते हैं. ग्रामीण क्षेत्र पावर ऑफ नॉलेज से सब कुछ हासिल कर सकते हैं. इन्फॉर्मेशन के लिए आंख व कान खुले रखें. पावर फुल रहेंगे तभी आपको रिस्पेक्ट मिलेगा. बॉडी से पावर फुल नहीं नॉलेज से पावर फुल बनें. इस नॉलेज को ट्रांसफर भी करें. एक बेहतर इंसान या कोई बेहतर वैज्ञानिक या अधिकारी बनने से पहले आप एक अच्छे शिक्षक बनें. कोई भी सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. इस बीच आप हार भी रहे हैं तो हताश न हों. उससे सीखने की जरूरत है. चंद्रयान के साथ भी यही हुआ. कमियों पर काम किया और चंद्रयान -3 सफल हुआ.स्कूली बच्चों को अंतरिक्ष के बारे में दी जायेगी जानकारी
: विज्ञान प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग निदेशक उदयन मिश्रा ने कहा कि आने वाले समय में स्पेस के क्षेत्र में शोध बढ़ेगा. फ्यूचर आप लोग ही हैं. सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि स्कूल के बच्चों के लिए विशेष तौर पर अंतरिक्ष के बारे में बताया जायेगा. तारामंडल में इसकी शुरुआत होगी. स्कूली बच्चों के लिए विशेष रूप से प्लान के तहत अंतरिक्ष की जानकारी दी जायेगी. बीआइटी पटना के निदेशक विष्णु प्रिय ने कहा कि बीआइटी पटना एआइ आधारित एप लांच किया है. यहां आने वाले बच्चे काफी कुछ सीख कर जायेंगे. इससे जीवन में बदलाव आयेगा. कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन अनंत कुमार दिया.मॉडल्स प्रतियोगिता का हुआ आयोजन :
कार्यक्रम में 8वीं से 10वीं कक्षा के स्कूली छात्रों हेतु अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित क्विज, मॉडल्स, चित्रकारी आदि प्रतियोगिता में शामिल हुए. प्रतियोगिता में विजयी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया. कार्यक्रम में लगभग 1000 स्कूली छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं अन्य लोग शामिल हुए. इस कार्यक्रम का मुख्य विषय ‘टचिंग लाइफ वाइल टचिंग द मून इंडिया’ एस स्पेस था.23 अगस्त को मनाया जायेगा अंतरिक्ष दिवस :
भारत विश्व का चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान का सफलतापूर्वक उतारने वाला पहला देश बन गया. इस ऐतिहासिक अवतरण के उपलक्ष्य में 23 अगस्त 2024 को पूरे देश में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया गया है, जो एक माह तक मनाया जायेगा. चन्द्रयान-3 का प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 को हुआ था, जिसका चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास की सतह पर अवतरण 23 अगस्त 2023 को हुआ. इस अवसर पर बिहार में बिहार काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी पटना, बीआइटी पटना एवं यूआर राव उपग्रह केंद्र अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार द्वारा सोमवार को बीआइटी पटना में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस उत्सव 2024 मनाया गया.दो कंपनियां भी बना रही रॉकेट, इसरो कर रहा टेस्ट :
इसरो से आये वैज्ञानिकों ने आरएलवी-टीडी व पीएसएलवी, जीएसएलवी के अंतर को बताया. इसरो वैज्ञानिक ने कहा कि आरएलवी-टीडी में कई उपकरण को हम लोग रिकवर करते हैं. अन्य में रिकवर नहीं हो पाता है. इसरो के राहुल आनंद ने कहा कि प्राइवेट स्पेश एजेंसी का फ्यूचर है. देश की दो कंपनी अग्निकुल और स्काईरूट रॉकेट बना रही है. इसका टेस्ट भी इसरो किया है. इस क्षेत्र में स्कोप बेहतर है. फंडिग भी आ रही है. स्पेस सेक्टर में काफी जॉब है. स्टूडेंट्स के सवालों का जवाब देते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि रॉकेट व एयरक्रॉफ्ट में अंतर है. एयर क्रॉफ्ट के लिए हवा चाहिए लेकिन रॉकेट के लिए नहीं. एयरक्रॉफ्ट के लिए एटमॉस्फेयर हर हाल में चाहिए, इसलिए टर्बो जेट इंजन लगा हुआ रहता है.कार्मेल हाइस्कूल : चंद्रयान-3, सोलर मिशन की दी जानकारी :
कार्मेल हाइस्कूल की तीन टीम शामिल हुई. चंद्रयान-3 को लेकर सभी प्रारूप की जानकारी दी. इसमें विजय राज लक्ष्मी, श्रेया उपाध्याय, पलक, आयुषी थी. वहीं. सोलर मिशन के बारे में अंजना भारती, भुमिका कुमारी, सिमरन, इशा ने जानकारी दी. स्पेस स्टेशन के बारे में जिज्ञासा शर्मा, कनिका झा, श्रेया सिंह, प्राची यादव ने मॉडल पेश किये.चंडी इंजीनियरिंग कॉलेज : बनाया खास ड्रोन, कई एप्लिकेशन पर करेगा काम :
इंजीनियरिंग कॉलेज चंडी के स्टूडेंट्स ने खास ड्रोन बनाया है. ड्रोन बहुत सारे एप्लिकेशन पर काम करेगा. ड्रोन पता लगा लेगा कि खेतों में कहां छिड़काव करना है. इसमें मैकेनिकल फाइनल इयर के शाहिला निगार, अमित वर्मा, ए अनवर, मुकेश, मनोज शामिल थे.बांकीपुर गर्ल्स हाइस्कूल : चंद्रयान -3 का मॉडल किया प्रदर्शित :
बांकीपुर गर्ल्स स्कूल की लड़कियों ने चंद्रयान -3 का मॉडल प्रदर्शित किया. इसमें जीनत जहां, सीमा प्रवीण, नंदनी व नीशा कुमारी शामिल थीं.गवर्नमेंट मिडिल स्कूल, शेखपुरा : चंद्रमा पर पहुंचने के मॉडल्स को दिखाया :
गवर्नमेंट मिडिल स्कूल शेखपुरा के बच्चों ने चंद्रयान को चंद्रमा पर पहुंचने के मॉडल्स को दिखाया. इसे दिव्यांश गुप्ता व देवराज शामिल थे.पॉलिटेक्निक कॉलेज भोजपुर की टीम ने चंद्रयान के सफल लैंडिंग को दिखाया :
पॉलिटेक्निक कॉलेज भोजपुर की तीन टीम शामिल हुई. तीनों टीमों ने इसरो के अलग-अलग कामों को दिखाया. इसमें चंद्रयान-3 के सफल लैंडिग को भी दिखाया गया. तीनों टीम में 25 से अधिक स्टूडेंट्स शामिल हुए.पॉलिटेक्निक कॉलेज, बाढ़: हानिकारक चीजों से बचने का तरीका बताया :
पॉलिटेक्निक कॉलेज बाढ़ की दो टीम शामिल हुई. इसमें एक टीम ने फ्लेम व अन्य हानिकारक चीजों से बचने का तरीका बताया. दूसरी टीम ने चंद्रयान के वर्क को दिखाया.द त्रिभुवन स्कूल : लाइट से फंक्शन इस्तेमाल करने का बनाया मॉडल :
द त्रिभुवन स्कूल के स्टूडेंट्स ने लाइ-फाइ का इजाद किया है. यह लाइट से सभी फंक्शन को इस्तेमाल करने का मॉडल्स बनाये थे. स्टूडेंट्स ने कहा कि जिस प्रकार वाइ-फाइ का इस्तेमाल करते हैं उसी तरह लाइ-फाइ का इस्तेमाल कर सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है