बक्सर के मनोज मधुमक्खी पालन कर बने युवाओं के रोल मॉडल, गांव-गांव घूम किसानों को दे रहे प्रशिक्षण

मनोज ने बताया कि इस मधुमक्खी पालन से प्रतिवर्ष 10 से 18 लाख की आमदनी होती है. वर्ष में लगभग 12 से 13 टन मधु का उत्पादन किया जाता है. जिसकी सप्लाइ भारत के सबसे बड़ी कंपनी डाबर, पतंजलि एवं वैद्यनाथ को दी जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2023 8:28 PM

बक्सर जिला के राजपुर प्रखंड के रसेन गांव के रहने वाला युवक मनोज कुमार सिंह मधुमक्खी पालन कर इन दिनों युवाओं के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं. मनोज कभी गरीबी की मार झेल रहे थे. इसी वजह से वह पंजाब एक एक कंपनी में मजदूरी करने गए लेकिन उनके दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी. इसी को लेकर वह वापस अपने गांव लौटे और मधुमक्खी पालन की अपनी चाहत को आगे बढ़ाया. जहां एक ओर देश के युवा बेरोजगारी की मार झेल दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना लिए मनोज दिन रात मेहनत कर अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में लगे हुए हैं. लगभग 18 साल की कड़ी मेहनत के बाद मनोज आज अपने इस उद्योग में सफलता के मार्ग पर आगे हैं.

2002 में शुरू किया मधुमक्खी पालन का काम

वर्ष 2001 में इंटर की परीक्षा देने के बाद परिवार की माली हालत को सुधारने के लिए मनोज कामकाज के लिए पंजाब के लुधियाना चले गये. जहां कंपनी में रहकर इन्होंने बुनाई का काम शुरू कर दिया. एक वर्ष बाद वर्ष 2002 में वह वापस घर लौटे. घर लौटने के बाद वही समस्या थी कि परिवार के हालात को कैसे सुधारा जाये. इसी बीच वह बक्सर से गांव लौटते वक्त बस की छत के ऊपर सवार युवक ने देखा कि चौसा के आसपास मुजफ्फरपुर से आए मधुमक्खी पालकों की टीम कई बीघा खेत के परिसर में अपने डिब्बे के साथ रखवाली कर रही हैं. इस डिब्बे को देख मनोज के मन में भी कुछ करने की चाहत जगी और वह उन लोगों से जा मिले.

700 बक्से के साथ करते हैं मधुमक्खी पालन 

मधुमक्खी पालक सुशील प्रसाद से मुलाकात कर मनोज ने अपने लिए एक बाइक खरीदने का मन बनाया. इसी मधुमक्खी पालक ने मनोज को प्रेरणा दी कि अगर तुम मेहनत करो और लगन लगाओ तो तुम स्वयं की कमाई से अपनी एक बाइक खरीद सकते हो. इसके बाद उसने इस मधुमक्खी पालक के साथ स्वयं झारखंड के टंडवा में पहुंचकर सिर्फ पांच बक्सों से मधुमक्खी पालन का शुरुआत किया. वर्ष 2010 में बक्सर जिले के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक रामकेवल से संपर्क हुआ और उन्होंने इसे प्रशिक्षण के लिए प्रेरित किया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इसने विस्तार पूर्वक मधुमक्खी पालन का कार्य आरंभ कर दिया. धीरे-धीरे क्षेत्र में मनोज का मन लगने लगा आज वह इसके आइकन बन गये. आज यह लगभग 700 बक्से के साथ मधुमक्खी का पालन करते हैं जो आय का एक बहुत अच्छा स्रोत हो गया है.

युवकों को दिया रोजगार

इस उद्योग से जुड़े मनोज ने अपने क्षेत्र के कई लोगों को रोजगार दिया है. अभी वो फिलहाल नौ लोगों को मासिक मजदूरी पर रखे हुए हैं. जिनको 7000 से 8000 रुपये मासिक वेतन देते हैं. इनमें रसेन के युवक उमेश कुमार, रूपेश कुमार सिंह, सुनील कुमार, शांतनु, रामानंद सिंह चौसा, छांगुर सहित अन्य लोगों को भी रोजगार दिये हैं. फिलहाल गांव गांव में घूम कर किसानों का समूह बनाकर इसके लिए जागरूक भी कर रहे हैं. साथ ही यह सभी इनके साथ रहकर स्वयं भी अपना रोजगार करते हैं.

वर्ष में 10 से 11 लाख की होती है आमदनी

मनोज ने बताया कि इस मधुमक्खी पालन से प्रतिवर्ष 10 से 18 लाख की आमदनी होती है. वर्ष में लगभग 12 से 13 टन मधु का उत्पादन किया जाता है. जिसकी सप्लाइ भारत के सबसे बड़ी कंपनी डाबर, पतंजलि एवं वैद्यनाथ को दी जाती है.

डीएम के सहयोग से बनाया अपना ब्रांड

मनोज के कार्य को देखकर जिलाधिकारी अमन समीर ने पिछले वर्ष नवप्रवर्तन योजना से अनुदान देकर मधु प्रोसेसिंग प्लांट भी उपलब्ध कराया है, जो जिले का अपना ब्रांड तैयार कर अन्य कंपनियों की तरह मधु की सप्लाई कर सकते हैं. मधु प्रोसेसिंग प्लांट से मधु की सप्लाई दूर तक की जा रही है. फिलहाल अभी अपना कोई लोगों नहीं बना है. उन्होंने बताया कि शीघ्र ही इसका ब्रांडिंग लोगो भी जारी होगा.

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