परियोजना विस्तार या स्वीकृत मैप में संशोधन के लिए दो तिहाई आवंटियों की सहमति जरूरी
बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) से निबंधित किसी प्रोजेक्ट की पूर्णता समय सीमा बढ़ाने या स्वीकृत मैप (नक्शे) में किसी भी संशोधन के लिए अब दो तिहाई आवंटियों की सहमति जरूरी होगी. बिल्डरों को निर्धारित फॉर्मेट में रेरा को इसकी जानकारी देनी होगी.
– बिहार रेरा की एसओपी में कई प्रावधान लागू संवाददाता, पटना. बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) से निबंधित किसी प्रोजेक्ट की पूर्णता समय सीमा बढ़ाने या स्वीकृत मैप (नक्शे) में किसी भी संशोधन के लिए अब दो तिहाई आवंटियों की सहमति जरूरी होगी. बिल्डरों को निर्धारित फॉर्मेट में रेरा को इसकी जानकारी देनी होगी. बिहार रेरा की नयी एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) में यह प्रावधान लागू किये गये हैं. आवंटियों से नो ऑब्जेेक्शन सर्टिफिकेट लेकर कराएं जमा बिहार रेरा ने नोटिस जारी कर बताया है कि किसी रजिस्टर्ड परियोजना के विस्तार आवेदन की जांच के दौरान सामान्यत: एक जैसी त्रुटियां पायी जा रही हैं. प्रोमोटर आवंटियों का सहमति पत्र जमा नहीं कराते. लेकिन, अब प्रोमोटरों को संबंधित परियोजना के दो तिहाई आवंटियों की सहमति लेनी होगी कि अगर फॉर्म बी के तहत परियोजना को विस्तारित किया जाता है तो उनको कोई आपत्ति नहीं है. रेरा के मुताबिक परियोजना के रजिस्ट्रेशन के वक्त ही उसकी पूर्णता की तिथि निर्धारित कर दी जाती है. ऐसे में अगर परियोजना समय पर पूरी नहीं हो पाती है तो पूर्णता तिथि के छह माह पहले ही प्रोमोटर को परियोजना तिथि के विस्तार से संबंधित आवेदन रेरा में जमा कराना होता है. लेकिन सामान्य तौर पर प्रमोटर पूर्णता अवधि समाप्त होने के बाद रेरा कार्यालय को सूचना देते हैं और उसमें भी आवंटियों की सहमति नहीं ली जाती है. स्वीकृत मैप में बदलाव के लिए भी सहमति अनिवार्य रेरा ने कहा है कि यदि प्रोमोटर सक्षम प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद परियोजना के स्वीकृत मैप (नक्शे) में कोई महत्वपूर्ण बदलाव कर रहे हैं तो उनको इसी तरह की सहमति की आवश्यकता होगी. परियोजना परिसर की बची भूमि का उपयोग, बिल्डिंग फ्लोर बढ़ाना या ऐसे किसी मामले में धारा 14(2) के तहत कम से कम दो तिहाई आवंटियों की सहमति अनिवार्य है. जमा कराने से पहले जांच लें नक्शे की वैधता रेरा ने प्रोमोटरों को रजिस्ट्रेशन के लिए नगरपालिका से स्वीकृत नक्शे को जमा कराने से पहले उसकी वैधता अवधि जांच लेने की भी सलाह दी है. वर्तमान में रेरा के पास ऐसी कई शिकायतें आयी हैं, जिनमें देखा गया है कि प्रोमोटर वैध नक्शा जमा नहीं कराते. खास कर प्लानिंग व नन प्लानिंग एरिया से जुड़े क्षेत्रों में मुखिया से पास नक्शे की वैधता को लेकर काफी समस्याएं आ रही हैं. पूर्व में कई प्रोमोटरों ने मुखिया से ही नक्शा पास करा लिया, जबकि इसके लिए राज्य सरकार ने बाद में संबंधित नगरपालिका के अधिकारी को सक्षम पदाधिकारी घोषित कर दिया. रेरा ने सलाह दी है कि प्रमोटर आवेदन से पहले ही ऐसे प्रोजेक्ट के स्वीकृत नक्शे की वैधता को लेकर स्पष्ट हो लें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है