17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मराठियों का बिहार से सदियों पुराना रिश्ता

मराठी लोगों का बिहार से सदियों पुराना रिश्ता है. सम्राट अशोक के शिलालेख मुंबई के पास पाये गये हैं, तो दूसरी ओर इतिहासकार कहते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज का भी बिहार से गहरा जुड़ाव रहा था

सुबोध कुमार नंदन

मराठी लोगों का बिहार से सदियों पुराना रिश्ता है. सम्राट अशोक के शिलालेख मुंबई के पास पाये गये हैं, तो दूसरी ओर इतिहासकार कहते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज का भी बिहार से गहरा जुड़ाव रहा था. मुगल शासक औरंगजेब ने 12 मई 1666 को छल से शिवाजी महाराज को आगरा के किले में कैद कर लिया. लगभग दिन माह कैद रहने के बाद चतुराई से मिठाई के बक्से के जरिये शिवाजी महाराज 17 अगस्त 1666 को आगरा के किले से निकल गये. इसके बाद शिवाजी महाराज मथुरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी के रास्ते पटना आये थे. फिर पटना से गया की ओर रुख किया था और इस क्रम में वे मसौढ़ी के चंदा गांव में दिनभर ठहरे थे.

गणेश उत्सव बना आकर्षण केंद्र

: महाराष्ट्र मंडल का गणेश उत्सव आकर्षण का केंद्र बन गया है. अब लगातार मुंबई से लाल बाग के राजा की मूर्ति आ रही है. पिछले एक दशक से यह परंपरा लगातार निभायी जा रही है. संस्था के अध्यक्ष जयचंद पवार ने बताया कि 1981 के पहले बुद्ध मार्ग स्थित पटना संग्रहालय के बगल में बिहार को-ऑपरेटिव हॉल में मराठी गणेश उत्सव का आयोजन किया करते थे. वहां किसी दिन नाटक होता था, किसी दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे. उस वक्त हम सभी मिलकर छोटी सी नाटिका, एकांगिका, बच्चों के प्रोग्राम करते थे.

1974 में महाराष्ट्र मंडल का गठन हुआ :

आजादी से पहले ही बॉम्बे (महाराष्ट्र) से लोग रोजगार और नौकरी को लेकर दूसरे राज्यों में पहुंचने लगे थे. विशेषकर सोने की शुद्धता मापन कार्य के लिए बड़े पैमाने पर लोग महाराष्ट्र से निकलकर दूसरे राज्यों में पहुंचे. इसी क्रम में बिहार की राजधानी पटना में भी कुछ गिने-चुने मराठी लोग पहुंचे और रोजगार करने लगे. इन मराठी लोगों ने अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को बनाये रखने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में एकता के प्रतीक रहे बाल गंगाधर तिलक के नाम पर पटना में तिलक स्मारक का गठन 1950 में किया और पर्व-त्यौहार मिल-जुलकर मनाने लगे. बाद में तिलक स्मारक का विस्तार हुआ और 1974 में महाराष्ट्र मंडल का गठन हुआ. यह आगे चल कर महाराष्ट्र मंडल के नाम से लोकप्रिय हो गया. महाराष्ट्र मंडल को जमीन देकर अलग पहचान दिलवाने में तत्कालीन राज्यपाल डॉ आर डी भंडारे का बड़ा योगदान रहा. उनके आदेश से ही महाराष्ट्र मंडल को दारोगा राय पथ में आधा एकड़ जमीन मिली.

अकाल से प्रभावित लोग पटना पहुंचे :

महाराष्ट्र मंडल के सचिव संजय भोंसले ने बताया कि वर्ष 1972 में महाराष्ट्र के बड़े हिस्से में अकाल पड़ा. जल संकट के कारण बड़ी संख्या में मराठियों को अपनी मातृ भूमि छोड़ने पर विवश किया. इसी दौर में महाराष्ट्र के सांगली, सतारा, शोलापुर से दर्जनों परिवार पटना, आरा, मगध और मिथिलांचल सहित कई क्षेत्रों में पहुंचे. धीरे-धीरे महाराष्ट्र से बिहार आये लोगों ने अपनी कर्मठता, जीवटता और मेहनत के बल पर स्वयं को स्थापित कर लिया. संजय भोंसले ने बताया कि लाल बाग के राजा के मुकुट की नीलामी हर साल विसर्जन के बाद होता है. नीलामी में मराठी परिवार भाग लेते हैं. नीलामी से जो धन आता है, उससे ही अगले साल मुकुट बनवाया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें