Loading election data...

बिहार का सकल घरेलूू उत्पाद रिकॉर्ड स्तर पर लेकिन Income Tax देने वालों में बढ़ोतरी नहीं, अब टैक्स बेस बढ़ाने की हो रही तैयारी

बिहार में आयकर देने वालों की संख्या करीब 13 लाख है, जो सूबे की कुल आबादी करीब 12 करोड़ का करीब एक प्रतिशत है. इसमें 65 फीसदी से ज्यादा यानी करीब सात लाख सरकारी कर्मी ही हैं. राज्य में नियमित, नियोजित और अस्थायी तौर पर कार्यरत सरकारी कर्मियों की संख्या करीब नौ लाख है. इनमें नियमित सरकारी कर्मियों की संख्या करीब साढ़े तीन लाख, नियोजित शिक्षकों की संख्या करीब पौने चार लाख के अलावा बेल्ट्रॉन से बहाल डाटा इंट्री ऑपरेटर, डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मी समेत अन्य सभी स्तर के कर्मियों को मिलाकर सरकारी कर्मियों की संख्या करीब नौ से साढ़े नौ लाख है. इनमें चतुर्थवर्गीय कर्मी और इस स्तर के अन्य कर्मियों को छोड़ दें, तो अन्य सभी अपना आयकर रिटर्न दायर करते हैं. इस तरह आयकर देने वाले कुल लोगों की जमात में सबसे ज्यादा संख्या सरकारी कर्मियों की है. शेष अन्य श्रेणियों के लोगों से आयकर संग्रह काफी कम होता है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 5, 2021 9:05 AM

कौशिक रंजन, पटना: बिहार में आयकर देने वालों की संख्या करीब 13 लाख है, जो सूबे की कुल आबादी करीब 12 करोड़ का करीब एक प्रतिशत है. इसमें 65 फीसदी से ज्यादा यानी करीब सात लाख सरकारी कर्मी ही हैं. राज्य में नियमित, नियोजित और अस्थायी तौर पर कार्यरत सरकारी कर्मियों की संख्या करीब नौ लाख है. इनमें नियमित सरकारी कर्मियों की संख्या करीब साढ़े तीन लाख, नियोजित शिक्षकों की संख्या करीब पौने चार लाख के अलावा बेल्ट्रॉन से बहाल डाटा इंट्री ऑपरेटर, डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मी समेत अन्य सभी स्तर के कर्मियों को मिलाकर सरकारी कर्मियों की संख्या करीब नौ से साढ़े नौ लाख है.

सबसे ज्यादा संख्या सरकारी कर्मियों की

इनमें चतुर्थवर्गीय कर्मी और इस स्तर के अन्य कर्मियों को छोड़ दें, तो अन्य सभी अपना आयकर रिटर्न दायर करते हैं. इस तरह आयकर देने वाले कुल लोगों की जमात में सबसे ज्यादा संख्या सरकारी कर्मियों की है. शेष अन्य श्रेणियों के लोगों से आयकर संग्रह काफी कम होता है.

जीएसडीपी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, लेकिन आयकर नहीं

राज्य में पिछले कुछ वर्षों में निजी व्यवसाय, व्यापार, सेवा समेत अन्य क्षेत्रों में गतिविधियां काफी बढ़ी हैं. वर्तमान में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) बढ़कर छह लाख 12 हजार करोड़ हो गया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में जीएसडीपी का ग्रोथ रेट 15.40% दर्ज किया गया है, जो देश में सर्वोच्च है. इसमें सबसे ज्यादा सात प्रतिशत से अधिक योगदान सर्विस सेक्टर का रहा है.

Also Read: बिहार में अफसरशाही और मंत्री मदन सहनी की नाराजगी पर बोले RCP सिंंह, जानिये क्या किया दावा…
जीएसडीपी में ग्रोथ लेकिन आयकर देने वालों की संख्या उस अनुपात में नहीं

पिछले तीन वित्तीय वर्षों से लगातार जीएसडीपी में ग्रोथ दर्ज किया जा रहा है. 2017-18 में 11.30 और 2018-19 में 13.10% ग्रोथ रहा था. इसके बावजूद राज्य में आयकर देने वालों की संख्या उस अनुपात में नहीं बढ़ी है. खासकर निजी व्यवसाय करने वाले मसलन रेस्टोरेंट, फूड, किराना, दवा समेत अन्य कई तरह सेक्टर में काफी बेहतर ग्रोथ हुआ है. लोगों की खर्च करने की क्षमता भी पिछले तीन साल की तुलना में करीब ढाई गुना बढ़ी है. फिर भी निजी और गैर सरकारी क्षेत्र से आयकर देने का प्रतिशत नहीं बढ़ा है.

टैक्स नहीं देने से कई सेक्टर की आमदनी शामिल नहीं हो पाती जीएसडीपी में

निजी और छोटे या गैर सरकारी या असंगठित सेक्टर से आयकर प्राप्त नहीं होने की वजह से इस सेक्टर से होने वाली आमदनी जीएसडीपी में शामिल नहीं हो पाती है. टैक्स नहीं देने से जीएसडीपी में सीधे तौर पर कोई योगदान नहीं हो पाता है. यह देखा गया है कि आमतौर पर छोटा व्यवसाय करने वाले जिन लोगों की आमदनी अच्छी भी है, उनके पास पैन तक नहीं है और न ही वे आयकर रिटर्न दायर करते हैं. कन्वर्जन या एग्रीमेंट पर जमीन देकर बिल्डर से निर्माण कराने वाले और रेंट से कमाई करने वाले बड़ी संख्या में लोग भी आयकर नहीं देते हैं.

टैक्स बेस बढ़ाने के लिए समीक्षा कर रहा आयकर विभाग

आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बिहार में कई ऐसे सेक्टर हैं, जिनसे उतना टैक्स नहीं आ रहा है, जितनी उसकी क्षमता है या आना चाहिए. इसमें निर्माण या बिल्डिंग सेक्टर प्रमुख है. ऐसे सेक्टरों की पहचान कर इन लोगों से टैक्स वसूलने के लिए समीक्षा की जा रही है. कोरोना के कारण प्रभाव पड़ा है, लेकिन कई सेक्टर अब भी हैं, जहां से टैक्स पर्याप्त मात्रा में नहीं आ रहा है. इस मामले में वित्तीय विशेषज्ञ प्रशांत कुमार का कहना है कि कई छोटे और निजी सेक्टर टैक्स के दायरे से अब भी बाहर हैं. इन्हें दायरे में लाने की जरूरत है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version