बिहार में दलगत आधार पर नहीं होगा मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव, पार्टी के बैनर या झंडे के उपयोग पर रहेगी रोक
बिहार में मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर अब जनता सीधे अपने वोट से योग्य उम्मीदवार को चुनेगी. सरकार ने 15 साल पुराने कानून में संशोधन की तैयारी चालू कर दी है.
बिहार में अब मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर चुनाव का पैटर्न बदलने जा रहा है. सरकार एक अध्यादेश लाने जा रही है जिसके तहत अब वार्ड पार्षदों के बहुमत के बदले मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे जनता ही करेगी. प्रदेश के 263 शहर की सरकार के मुखिया के चुनाव को लेकर अब तैयारी तेज होने लगी है. नगर पंचायत के मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद, नगर परिषद के सभापति व उप सभापति का भी चुनाव अब जनता ही करेगी.
बिहार में अभी तक जनता अपने वार्ड पार्षद को चुनती थी. इसके बाद जीते हुए पार्षद मुख्य पार्षद से लेकर मेयर और डिप्टी मेयर तक का चयन करते थे. लेकिन अब जनता सीधे अपने मेयर और डिप्टी मेयर वगैरह को चुनेगी. राज्यपाल से इसकी मंजूरी मिल गयी है. राजभवन ने नगरपालिका एक्ट में संशोधन का अध्यादेश विधि विभाग को भेज दिया है.
कानून में संसोधन के साथ यह भी प्रावधान किया गया है कि इन चुनावों में कोई भी प्रत्याशी किसी दल के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ेगा. इसके साथ ही चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को किसी दल के झंडा, बैनर या प्रतीक चिन्ह के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा. उधर नगर पालिका कानून-2007 में संशोधन के बाद वार्ड पार्षदों की खरीद- बिक्री पर रोक लग जाएगी. अभी इसकी शिकायतें बेहद आम हो गयी है.
मेयर और डिप्टी मेयर का पद अब खरीद-बिक्री और जुगाड़ के साथ नहीं तय किया जा सकेगा. वहीं एक और संशोधन के तहत अविश्वास प्रस्ताव का रोड़ा भी हटा दिया जाएगा. अभी दोनों पदों को हासिल करने के लिए मोटी रकम खर्च की जाती है. वहीं अविश्वास प्रस्ताव के जरिये भी मोटी रकम का खेल होता है. जिसपर लगाम लगाने की अब तैयारी शुरू कर दी गयी है. वर्तमान में मध्यप्रदेश, छत्तीसढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और झारखंड में इसी तर्ज पर चुनाव हो रहा है.
Published By: Thakur Shaktilochan