Interview Of Meenakshi Jha Banerjee: यूं तो हर व्यक्ति का शौक अलग-अलग होता है. कोई डांसर, तो कोई सिंगर या फिर कोई पेंटिंग के क्षेत्र से जुड़ता है. पर आज हम बात कर रहे हैं, बिहार की ऐसी महिला कलाकार के बारे में जिसने कला के क्षेत्र में कोई डिग्री तो नहीं ली है, लेकिन अपने बुलंद हौसले की वजह से उन्होंने इस क्षेत्र में खुद की पहचान जरूर स्थापित कर चुकी हैं. कंटेंपरेरी आर्टिस्ट मीनाक्षी झा बैनर्जी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उनके द्वारा बनायी गयी पेंटिंग सिर्फ पटना ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी लोग बड़े शौक से खरीदते हैं. इनकी पेंटिंग में समकालीन चित्रकारी की झलक दिखती है.
Q. आप कला के क्षेत्र से कैसे जुड़ीं?
जैसे बचपन में हर बच्चे को पेंटिंग करना पसंद होता है, ठीक वैसे ही मैं भी किया करती थी. जैसे-जैसे बड़ी हुई, इसके प्रति रुझान बढ़ता गया. मेरे बड़े भाई भी पेंटिंग किया करते थें, तो उनकी गाइडेंस में काफी कुछ सीखने का मौका मिला. 10वीं पास करने के बाद पिताजी ने आर्ट की पढ़ाई नहीं करने दिये, तो मैंने मगध महिला कॉलेज से संस्कृत में डिग्री ली. लेकिन, मैंने ये तय कर लिया था कि इसी क्षेत्र में काम करना है और मैं इस क्षेत्र से जुड़ती चली गयी.
Q. आपके पास आर्ट विषय को लेकर कोई प्रोफेशनल डिग्री नहीं थी, ऐसे में चुनौतियां कितनी रही?
अगर आप किसी भी क्षेत्र में अपना करियर चुनते हैं, तो चुनौतियां वहीं से शुरू हो जाती है. क्योंकि, किसी भी क्षेत्र में हर कोई सफल हो यह जरूरी नहीं होता है. खासकर फ्रीलांसर के तौर पर काम करना तो और भी चैलेंजिंग हो जाता है. अगर आप किसी प्रोफेशनल कोर्स से डिग्री लेते हैं, तो आपकी एक लॉबी क्रिएट होती है और आपको इससे शुरुआत के दौर में मदद मिलती है. मैंने भी इन चुनौतियों का सामना किया. उस वक्त इंटरनेट नहीं था, तो कोई भी किसी भी जानकारी के लिए लिए आपको किताब लेनी होती थी. मैंने अपने पेटिंग्स लगातार जारी रखा. साल 1998 में जब पटना जंक्शन के रिजर्वेशन काउंटर पर मेरी गौतम बुद्ध की जीवनी पर आधारित पेटिंग्स की सीरीज लगी, तो वह मेरे सफलता का पहला पड़ाव था. इसके बाद मेरी पेंटिंग एयरपोर्ट, सरकारी कार्यालयों, संग्रहालय के अलावा देश और विदेश में मौजूद है.
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Q. आप थर्ड जेंडर को लेकर पेंटिंग की एक सीरीज तैयार की थीं, इसके पीछे की क्या कहानी है?
जब मेरी बेटी हुई, तो किसी मेडिकल परेशानी की वजह से मेरे बचने की उम्मीद बहुत कम थी. उस वक्त बच्चे पैदा होने पर जैसे हिजड़ों की टोली आयी तो, बाबा ने मेरी इस हालत का जिक्र किया, मुझे याद है कि उस वक्त काली नाम की किन्नर थीं, जिन्होंने बताया था कि आज अमावस्या है और मैं मां काली की पूजा करूंगी, मेरा विश्वास है कि उस दिन से मेरी हालत में सुधार हुई. तब एहसास हुआ कि बचपन से जो छवि इनकी हमारे दिमाग में डाली जाती है, वह ऐसे है ही नहीं. तब मैंने यह सीरीज बनायी और जब प्रदर्शनी में लगायी, तो उनको भी बुलाया था.
Q. आपकी पेंटिंग्स का विषय महिलाओं के इर्द-गिर्द रहता है?
मेरी पेटिंग्स का विषय समाज पर आधारित होता है. दुनिया कितनी भी बदल जाए, औरतों को लेकर जो परसेप्शन है, परेशानियां है, उसमें कहीं कोई कमियां नहीं आयी है. समाज के कई सारे स्तर है और इनमें कई परेशानियां है. इन्हें देखकर मेरी पेंटिंग्स का विषय महिलाओं पर ही केंद्रित होता है.