जनवरी तक चार शहरों में मेट्रो की डीपीआर होगी तैयार
बिहार कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने सूबे के चार शहरों मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा और गया में मेट्रो रेल चलाने को लेकर लक्ष्य तय किया गया है.
संवाददाता, पटना. बिहार कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने सूबे के चार शहरों मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा और गया में मेट्रो रेल चलाने को लेकर लक्ष्य तय किया गया है. इसके तहत नगर विकास एवं आवास विभाग ने इन शहरों में मेट्रो रेल की संभाव्यता का अध्ययन (फिजिबिलिटी स्टडी) कर रही भारत सरकार की एजेंसी राइट्स से नवंबर तक फिजिबिलिटी रिपोर्ट के साथ ही कंप्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) और वैकल्पिक विश्लेषण रिपोर्ट (एएआर) भी तलब की है. इसके आधार पर जनवरी 2025 तक डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने पर राशि का निर्धारण करते हुए विधानसभा चुनाव से पहले चारों शहरों में मेट्रो रेल का काम शुरू करने की योजना बनायी गयी है. नगर विकास एवं आवास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक भारत सरकार द्वारा परियोजना के अनुमोदन के लिए तैयार की जाने वाली डीपीआर में लागत अनुमान, वित्तीय, डिजाइन, संस्थागत व्यवस्था, सर्वोत्तम अनुशंसित एमआरटीएस मोड के लिए योजना और कार्यान्वयन योजना शामिल होगी. इसके बाद डीपीआर, एएआर और सीएमपी तीनों रिपोर्ट शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय को उनकी मंजूरी के लिए भेजी जायेगी. इसके आधार पर केंद्र तय करेगा कि क्या विशेष परियोजना शहर के लिए उपयुक्त है और इसकी वित्तीय व्यवहार्यता क्या है ? वित्तीय रूप से व्यवहार्य पाये जाने पर सीएमपी, एएआर और डीपीआर को ध्यान में रखते हुए फंडिंग का मॉडल तय किया जायेगा. केंद्र की मंजूरी मिलते ही काम शुरू कराने का प्रयास होगा. अधिकारी ने बताया कि वर्तमान पटना मेट्रो को विस्तारित करते हुए उसे पटना एयरपोर्ट और पटना साहिब गुरुद्वारा से जोड़ने को लेकर भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. अगले महीने राइट्स को अलग से इसका डीपीआर बनाने के लिए अनुरोध किया जायेगा. डीपीआर के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी. विभाग जुलाई 2025 तक पटना मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर (मलाही पकड़ी से न्यू आइएसबीटी) पर मेट्रो रेल दौड़ाने की योजना पर भी काम कर रहा है. विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसके लिए कार्यकारी एजेंसी दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के साथ कई राउंड की बैठक हो चुकी है. इसके लिए फंडिंग पैटर्न में थोड़ा बदलाव करना होगा. जायका फंड में हो रही देरी को देखते हुए उसकी जगह नॉन जायका फंड का उपयोग करते हुए सिग्नल, ट्रैक्शन, कोचिंग आदि का कार्य पूरा किया जायेगा. इससे काम जल्दी पूरा करने में मदद मिलेगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है