मध्याह्न भोजन निदेशक ने जारी किये निर्देश
बरसात में मध्याह्न भोजन में बैगन,भिंडी, साग और पत्ता गोभी की सब्जी नहीं परोसी जायेगी
बरसात में मध्याह्न भोजन में बैगन,भिंडी, साग और पत्ता गोभी की सब्जी नहीं परोसी जायेगी – मध्याह्न भोजन निदेशक ने जारी किये निर्देश -जीविका दीदी और चिकित्सक भी करेंगे मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता की जांच संवाददाता,पटना मध्याह्न भोजन निदेशालय ने बरसात के दिनों में मध्याह्न भोजन बनाते और बच्चों को परोसते समय विशेष सावधानी बरतने के लिए कहा है. दो टूक निर्देश दिये हैं कि मध्याह्न भोजन में बैगन, भिंडी, सभी प्रकार के साग एवं पत्ता गोभी का उपयोग नहीं किया जाये. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध ताजी हरी सब्जियों का ही प्रयोग किया जाये. रसोईघर और भंडारगृह में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाये. मध्याह्न भोजन निदेशक मिथिलेश मिश्र ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को इस आशय के जरूरी दिशा निर्देश शुक्रवार को जारी कर दिये हैं. मध्याह्न भोजन निदेशक मिथिलेश मिश्र ने जिला शिक्षा एवं कार्यक्रम पदाधिकारियों से कहा है कि विद्यालय में तैयार मध्याह्न भोजन को रसोइयों / प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों की तरफ से पहले चखा जाए. उसके बाद ही बच्चों को परोसा जाए. साथ ही कहा है कि विद्यालय निरीक्षण के दौरान जीविका दीदी एवं स्थानीय चिकित्सक भी भोजन को चखकर उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे. डिब्बाबंद खाद्य सामग्री का इस्तेमाल उसके उपयोग की अंतिम तिथि देख कर ही किया जाए. इसके अलावा निदेशक ने बर्तन की साफ- सफाई और भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने खास निर्देश दिये हैं. :::::::बॉक्स::::::: 35 हजार प्रारंभिक विद्यालयों में पोषण वाटिका स्थापित करने करायी जायेगी मिट्टी की जांच मध्याह्न भोजन निदेशालय ने निर्णय लिया है कि पोषण वाटिका लगाने के लिए चिह्नित 35 हजार प्रारंभिक विद्यालयों में पहले वाटिका के लिए प्रस्तावित जगह की मिट्टी की जांच करायी जायेगी. जांच के बाद विद्यालय को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी जारी किये जायेंगे. मध्याह्न भोजन निदेशक ने मृदा जांच के लिए बाकायदा बिहार के कृषि निदेशक को आधिकारिक पत्र लिखा है. उल्लेखनीय है कि स्कूलों में बच्चों के बेहतर पोषण एवं स्वास्थ्य में सुधार के लिए पोषण वाटिका तैयार की जायेगी. पोषण वाटिका के माध्यम से सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों को खाद्य विविधिता के प्रति जागरूक किया जायेगा. साथ ही उनमें जैविक खेती की समझ विकसित की जायेगी.
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