पटना : कोरोना के कहर में देश के अन्य राज्यों से अपने घरों को लौट रहे हर प्रवासी बिहारियों की इच्छा के अनुसार काम मिलेगा. राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी प्रवासियों से पूछा जायेगा कि उन्हें रोजगार चाहिए या स्वरोजगार करना चाहते हैं. अगर रोजगार करने वालों की संख्या अधिक आयी, तो उसी हिसाब से सरकार रोजगार के अवसर सृजित करेगी.
अगर प्रवासी स्वरोजगार करना चाहेंगे तो उन्हें सरकार की ओर से हरसंभव सहायता दी जायेगी. प्रवासियों की राय जानने के लिये श्रम संसाधन विभाग ने काम शुरू कर दिया है. अब आनलाइन और आफ लाइन से तैयार होगा डेटाबेस. अधिकारियों को जिलों में सौंपा कार्य, इस तरह से भरा जायेगा फार्म विभाग ने जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के अधिकारियों को भी इस काम में जुटने को कहा है ताकि सभी श्रमिकों का पंजीकरण हो सकें.
प्रवासियों की आफिसियल जानकारी जुटाने के लिये विभाग ने दो पन्ने का विस्तृत फॉर्मा तैयार किया है. जिसमें पंजीकरण के समय यह पूछा जायेगा कि वे बाहर अकेले रहते हैं या परिवार के साथ. बाहर जाकर काम करने के लिये ठेकेदार के साथ गये या अकेले. वहां जाकर काम क्या करते हैं. कारखाना में हैं या निर्माण कामगार, खेतिहर मजदूर हैं या घरेलू कामगार.
ऐसी सभी जानकारी का डेटाबेस बनेगा और उनके अनुभव के आधार पर ही उनसे पूछा जाएगा कि वे आगे बिहार में ही रोजगार करना चाहते हैं या स्वरोजगार करना चाहते हैं. यह जानकारी विभाग फोन एसएमएस के माध्यम से पूछेगा. घर घर होगा सर्वे, अधिकारी करायेंगे निबंधन प्रवासियों को रोजगार देने में यह कार्ययोजना बेहतर होगा. इससे यह जानकारी मिल जायेगी कि बाहर में रहने वाले बिहारी किस तरह का और क्या काम करते हैं.
साथ ही, प्रवासियों से व्यक्तिगत जानकारी में नाम-पता के अलावा वे किस समुदाय यानी सामान्य, ओबीसी या एससी-एसटी से हैं, यह भी पूछा जाएगा. वे कितने पढ़े-लिखे हैं और बाहर जाने के पहले कोई प्रशिक्षण लिया था या नहीं. इन जानकारियों के आधार पर भविष्य में सरकार के पास यह आंकड़ा उपलब्ध होगा कि बिहार के बाहर कितने लोग और किस तरह का काम करते हैं.
Posted by : Shaurya Punj