30 देशों से प्रवासी पक्षी आते हैं बिहार प्रवास के लिए
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि पक्षियों के संरक्षण के लिए सरकारी एजेंसियों,एनजीओ और स्थानीय लोगों को मिलकर काम करने की जरूरत है.
पक्षियों के संरक्षण में सरकारी एजेंसी,एनजीओ और स्थानीय लोगों को मिलकर काम करने की जरूरत: डॉ.प्रेम कुमार संवाददाता,पटना पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि पक्षियों के संरक्षण के लिए सरकारी एजेंसियों,एनजीओ और स्थानीय लोगों को मिलकर काम करने की जरूरत है.राज्य में पक्षी संरक्षण की दिशा में काम किये जा रहे हैं.करीब 30 देशों से प्रवासी पक्षी बिहार प्रवास के लिए आते हैं.डॉ कुमार सोमवार को विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस ) द्वारा पटना के अरण्य भवन में एशियाई जलपक्षी गणना (एडब्लूसी) पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य राज्य में प्रवासी पक्षियों की संख्या को बढ़ाना और आर्द्रभूमि के दीर्घकालिक संरक्षण नीति में योगदान करना है. पिछले तीन वर्षों में राज्य में 123 आर्द्रभूमि का किया गया सर्वेक्षण: बंदना प्रेयषी विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी ने कहा कि बिहार की आर्द्रभूमि, प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास हैं. इसकी रक्षा जरूरी है.उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में राज्य में 123 आर्द्रभूमि का सर्वेक्षण किया है.इससे जलपक्षियों की विविधता और आर्द्रभूमि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई.सचिव ने पक्षियों का अवैध शिकार पर कार्रवाई और उनके आवास को संरक्षित करने पर जोर दिया. जलपक्षी सेंसस से संरक्षण नीति बनाने में मदद मिलती है:प्रभात कुमार गुप्ता प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि राज्य में वर्ष 2022 से पक्षियों की गणना की जा रही है.वार्षिक जलपक्षी सेंसस से संरक्षण नीतियों को आकार देने में मदद मिलती है. मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक अरविंदर सिंह ने कहा कि राज्य की इस पहल से पक्षी जनसंख्या की निगरानी के साथ-साथ उनकी उपस्थिति के कारणों की जांच और आर्द्रभूमियों के संरक्षण में मदद मिलती है. गरुड़ बचाव एवं पुनर्वास केंद्र से बढ़ी गरुड़ की संख्या राज्य ने पक्षी संरक्षण प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति की है.गरुड़ बचाव एवं पुनर्वास केंद्र की स्थापना के बाद गरुड़ की संख्या बढ़ी है.कार्यशाला में जलपक्षी जनसंख्या की निगरानी,आर्द्रभूमि का मूल्यांकन और राज्य भर में संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ करने में गणना की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी गयी.
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