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प्रवासी पक्षियों को भाया बिहार, पहुंची ऑस्प्रे समेत 40 से अधिक दुर्लभ प्रजातियां

बिहार में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में प्रवासी पक्षियों की आवक अधिक रही. प्रवासी पक्षी न केवल संख्या में अधिक आये, बल्कि कई ऐसी दुर्लभ प्रजातियां भी वर्षों बाद बिहार में दिखाई दी है.

पटना. बिहार के जलाशय इस वर्ष देशी-विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार रहे. पटना के सचिवालय परिसर में 10 एकड़ से ज्यादा में फैले राजधानी जलाशय में 3000 से ज्यादा पक्षियां अभी भी मौजूद हैं. बर्ड एक्सपर्ट नवीन कुमार बताते हैं कि मार्च के अंत तक बिहार में 40 प्रजातियों की 4000 से ज्यादा पक्षियां देखने को मिलेंगी. दिसंबर के अंत से ही साउथ अफ्रीका, भारत, बांगलादेश, ऑस्ट्रेलिया में पायी जाने वाली गेरगेनी, यूरो साइबेरिया की फेरोजिनस डक या वाइट आइड पोकार्ड समेत जलाशय में देशी और विदेशी पक्षियां आने लगी लगी थी. बर्ड एक्सपर्ट नवीन कुमार बताते हैं कि पक्षियां उड़ने के लिए फ्लाइवेज का इस्तेमाल करती हैं. बिहार में व्हाइट आइड पोकार्ड की 30 प्रजातियां बाहर के देशों से आती हैं.

विगत वर्ष की तुलना बढ़ी पक्षियों की संख्या

बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी व पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के संयुक्त तत्वावधान में एशियाई पक्षी गणना के क्रम में सर्वेक्षण दल के सभी सदस्य इन पक्षियों को देखकर काफी उत्साहित हुए. 2022 में भी यह सर्वे हुआ था. टीम के मुताबिक, विगत वर्ष की तुलना प्रवासी पक्षियों में वृद्धि हुई है. खास बात यह है कि विविध प्रजाति की पक्षी यहां पहुंच रहे हैं. प्रवासी पक्षी डैम के अलावा आकाश में भी उड़ान भरते हैं. साथ ही अपने कलरव से शोभा बढ़ा रही है. उनके मुताबिक, इस टीम ने भागलपुर में भी सर्वे किया, जिसमें पक्षियों की संख्या कम पायी गयी. परंतु, ओढ़नी डैम में अच्छी-खासी संख्या ने उनके कार्य को सार्थक कर दिया.

सरमसपुर वेटलैंड में 33 प्रजाति के पक्षी दिखे

भागलपुर बाइपास स्थित सरमसपुर गांव स्थित वेटलैंड में वन विभाग की ओर पक्षी गणना की गयी. एशियन वाटर बर्ड सेंसस के तहत टीम का नेतृत्व बीएनएसएस के वरिष्ठ सदस्य डॉ तपन कुमार पान ने किया. उन्होंने बताया कि इस छोटे वेटलैंड में कुल 33 प्रजाति के पक्षी दिखे. इनमें लाल अंजन, अंधा बगुला, घांघिल, छोटा गरूड़, बड़ा गरुड़, काला बुझा, लाल वेटल्ड लैपविंग, सामान्य रेत पाइपर व अन्य पक्षी दिखे. गणना में गंगा प्रहरी सह बर्ड गाइड मुकेश चौधरी, बिट्टू कुमार, देव राज, फॉरेस्टर मिनी कुमारी, फॉरेस्ट गार्ड प्रियंका कुमारी, कुंदन कुमार व स्थानीय लोग शामिल हुए.

नजर आयी होडिड गूज की झुंड

बांका के ओढ़नी जलाशय पर्यटकों के साथ प्रवासी पक्षियों के लिए भी उपर्युक्त केंद्र बन गया है. इस वर्ष हुई एशियाई पक्षी गणना के दौरान यहां कई दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षियों को देखा गया. टीम ने खास तौर पर अलास्का की शिकारी पक्षी ऑस्प्रे को भी यहां मछलियों का शिकार करते हुए पाया. साथ ही मंगोलिया व अलास्का के प्रवासी पक्षी बार होडिड गूज की झुंड भी यहां नजर आयी. यह पक्षी सर्वाधिक उंचाई पर उड़ान भर सकता है. इसके अलावा लालसर सहित अन्य पक्षियों को भी विचरण करते हुए पाया, जिससे गणना टीम खासा उत्साह से भर गयी.

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अलास्का की शिकारी पक्षी ऑस्प्रे देख अचंभित हुए लोग

बिहार में इन दिनों स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों की गणना की जा रही है. बीते दिनों बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी व पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के संयुक्त तत्वावधान में एशियाई पक्षी गणना के क्रम में टीम ओढ़नी जलाशय पहुंची. टीम में एडब्लूसी के कॉर्डिनेटर डा. डीएन चौधरी मुख्य रूप से इसका नेतृत्व कर रहे थे. यह सर्वे तीसरी बार की जा रही है. करीब 80 वेटलैंड्स में पक्षियों की गणना की जायेगी. उन्होंने कहा कि पक्षियों के शोध, सर्वेक्षण तथा संरक्षण से जुड़े हुए इस कार्यक्रम में यह गणना भविष्य में पक्षी विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा. टीम में सुमित कुमार, जय कुमार जय, पिंटू कुमार आजाद, विजय भारत व आनंद कुमार झा प्रमुख रूप से शामिल थे.

कच्चुदह झील में प्रवासी पक्षी का आगमन हुआ कम

ठाकुरगंज में पिछले कुछ वर्षों के दौरान में प्रवासी पक्षियों का आगमन कम हुआ है. नवंबर से फरवरी माह तक कच्चुदह, गोथरा समेत ठाकुरगंज इलाके की अन्य झीलों में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता था. झीलों में पानी की कमी, जलकुंभी जमा होने व शिकारियों की अत्याचार के कारण अब प्रवासी पक्षियों का आना कम हो चुका है.

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