सरकारी विभागों में आटउसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी अनिवार्य
श्रम विभाग के प्रधान सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव के साथ डीएम को लिखा पत्र
सरकारी विभागों में आटउसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी अनिवार्य
– श्रम विभाग के प्रधान सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव के साथ डीएम को लिखा पत्र
संवाददाता, पटनाश्रम संसाधन विभाग ने सभी विभाग के सचिव को पत्र लिख कर सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी विभागों में आटउसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मियों अनिवार्य रूप में न्यूनतम मजदूरी मिले. विभाग के प्रधान सचिव डॉ बी राजेंद्र की ओर से सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव व सचिव के साथ ही डीएम को भी पत्र लिखा गया है.पत्र में स्पष्ट किया गया है कि सरकार के कई विभाग,समितियों, बोर्ड व आयोग में बड़ी संख्या में आउटसोर्सिंग एजेंसी या संवेदकों के माध्यम से श्रमिकों से कार्य लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है. हाल के दिनों में विभिन्न श्रम संगठनों द्वारा कई बार विभाग के संज्ञान में लाया जाता है कि इन आउटसोर्सिंग एजेंसी या संवेदकों द्वारा श्रम कानूनों का समुचित ढंग से अनुपालन नहीं किया जा रहा है. साथ ही प्रधान नियोजकों द्वारा भी इसकी निगरानी नहीं की जा रही है. इन समस्याओं को देखते हुए सभी नियोजकों और आउटसोर्सिंग एजेंसी या संवेदकों द्वारा प्रमुख श्रम कानूनों का अनुपालन जरूरी है. वरना इनका लाइसेंस रदद किया जाये और इनसे काम वापस लेने का निर्देश विभागों को दिया गया है. वहीं, यह नियम निजी क्षेत्र पर लागू रहेगा, इसकी भी जांच करने के लिए विभाग ने सभी डीएम को दिशा-निर्देश दिया है.
बैंक खाते में ही वेतन का भुगतान , अधिक समय तक काम कराने पर देना होगा ओवरटाइम
श्रमिकों से एक दिन में ओवरटाईम को छोड़कर अधिकतम नौ घंटे का कार्य लिया जा सकता है. इसमें एक घंटे का विश्राम अंतराल भी शामिल रहेगा. किसी दिन कार्य की अधिकता है, तो दो घंटे कार्य लिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए ओवरटाइम का भुगतान करना होगा. किसी भी परिस्थिति में श्रमिक से विश्राम अंतराल को मिलाकर 12 घंटे ही काम लिए जा सकेंगे. एक व्यक्ति तीन महीने में अधिकतम 50 घंटे का ओवरटाइम करेगा.ओवरटाइम की मजदूरी दर सामान्य से दोगुनी होगी.आउटसोर्सिंग पर कार्यरत सभी कर्मियों को ईएसआई और ईपीएफ का लाभ दिया जाना है. इपीएफ और इएसआइ का अंशदान उसके वेतन से कटौती की जायेगी, लेकिन नियोजन के अंशदान की कटौती कामगार के वेतन से नहीं किया जायेगा. बोनस का भुगतान नियोजकों को ही करना होगा. किसी भी संवेदक को काम देने से पहले स्थापना का पंजीकरण लिया जाये. श्रमिकों को सीधे बैंक खाते में ही भुगतान किया जाये.
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